जागृति मंच पखांजूर आजाद का 116 वां जन्मजयंती कार्यक्रम किया।

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-

पखांजूर,,,
जागृति मंच पखांजूर आजाद का 116 वां जन्मजयंती के उपलक्ष्य में पखांजूर नेताजी चौक में जागृति मंच के अध्यक्ष रविन्द्रनाथ मिस्त्री, सचिव निबास अधिकारी सदस्य आजय,लालमोहन पटेल आदि ने माल्यार्पण किया।अध्यक्ष सचिव ने सभा संबोधित करते हुऐ कहा है कि आजाद के दिलो दिमाग में देश प्रेम कुट कुट के भरा था ।1919 अमृतसर जलियांवाला बाग नरसंहार ने देश के नवयुवकों को उद्वेलित कर दिया। चन्द्रशेखर उस समय पढाई कर रहे थे। जब गांधीजी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलनका आह्वान किया तो वह आग ज्वालामुखी तरह फुटे और तमाम अन्य छात्रों की भाँति चन्द्रशेखर आजाद भी सडकों पर उतर आये।

अपने विद्यालय के छात्रों के जत्थे के साथ असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर आजाद को अंग्रेजों ने गिरफ़्तार किया ।कम उम्र होने के कारण जेल में नहीं भेजा। 14 -15 साल की उम्र में चन्द्रशेखर ने अंग्रेज सरकार की कानून तोड़ने की फैसला सुनाने कोर्ट में अंग्रेज जज ने आजाद से पुछा तुम्हारा नाम क्या चन्द्रशेखर ने उत्तर दी आजाद गुस्साए जज ने पिता का नाम पुछे उतनी जोर से चन्द्रशेखर ने कहां स्वतंत्रता ,क्रोधित जजने बखलाते हुए पुछें तुमह रहते हो काहां ,बादलों की गरजते हुएं बुलंद आवाज में चन्द्रशेखर ने बोला जेल में ।फिरींगियों के जज ने बालक चन्द्रशेखर को15 बेंतं की सजा सुनाई। आजाद को अदालत में ही नंगा किया गया और बेंत की टिकटी से बाँध कर 15 कोड़े बरसायें। बेंत मारकर आजाद का चमड़ी उधेड़ डालते रहे, चंद्रशेखर ने ‘भारत माता की जय!’की नारा बुलंद करते रहे । हर बेंत के साथ वह तब तक नारा लगाता रहा,15वें कोड़े बेहोश न हो गया। ऐसे थे महान क्रांतिकारी ” हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” के कमंडर इन चिफ चन्द्रशेखर आजाद।

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