सस्ते चिकन के ऑफर से सावन के महीने में भी चिकन शॉप पर टूट पड़े ग्राहक, प्रतिस्पर्धा के चलते मुंगेली में महंगाई के दौर में भी हैरान करने वाली कीमत पर बिक रहे चिकन

आकाश दत्त मिश्रा

सावन के पवित्र महीने में मांसाहारी और मदिरा प्रेमी भी मांसाहार और शराब से दूरी बना लेते हैं, यही कारण है कि सावन महीने में नॉनवेज दुकानदार मक्खी मारते नजरआते हैं, लेकिन इसी सावन के महीने में मुंगेली के दाऊ पारा चौक के करीब एक चिकन दुकान में बुधवार सुबह से लगी भीड़ लोगों को हैरान करती रही।
आमतौर पर जिस दौरान सभी चिकन, मटन और मछली दुकान वीरान है, उस दौरान दाऊ पारा चौक से रामगढ़ जाने वाली सड़क के पास स्थित एक चिकन शॉप में लोगों की भीड़ ने जिज्ञासा उत्पन्न कर दी। अधिकांश हिंदू सावन के महीने में मांसाहार नहीं करते । ऐसे नजारे तो आमतौर पर होली के दिन चिकन शॉप में देखे जाते हैं , लेकिन सावन में इस तरह के नजारे से जिज्ञासा उत्पन्न होना स्वाभाविक है।

सावन के महीने में चिकन की कम मांग को देखते हुए थोक व्यवसायियों ने लोगों के लिए धमाका ऑफर लाया है। ₹160 किलो खड़ा मिलने वाला चिकन ₹75 किलो बेचा जा रहा है। वही ₹200 से अधिक में बिकने वाला ड्रेसिंग चिकन ₹90 किलो मिलने से लोग सावन भूलकर इस चिकन शॉप में टूट पड़े। 1 किलो खरीदने वाला 2 किलो , 2 किलो खरीदने वाला 5 किलो खरीदता नजर आया। सस्ता चिकन मिलने से चिकन के शौकीनों की बांछें खिल गई। बताया जा रहा है कि थोक व्यवसायियों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण ग्राहकों को इस तरह का ऑफर मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार पहले तखतपुर में इस तरह कम कीमत पर चिकन की बिक्री की गई, जिसके बाद मुंगेली में भी इसी तरह का नजारा नजर आया। एक समय जब बर्ड फ्लू का प्रकोप आया था, उस दौर में भी इसी तरह के नजारे दिखे थे , जब ₹10 नग मे भी मुर्गे बेचे जा रहे थे । कुछ उसी तरह के नजारे मुंगेली में बुधवार को नजर आए, लेकिन इस बार वजह दूसरी थी।

सावन में बिक्री घटने पर चिकन फार्म वालों ने कम कीमत पर ग्राहकों को चिकन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। चिकन शॉप संचालक ने बताया कि इसके बावजूद उन्हें नुकसान नहीं हो रहा है, यानी इस कीमत पर भी फार्म और चिकन शॉप वाले मुनाफा कमा ही रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि सीजन में जब इस कीमत से दुगनी कीमत पर चिकन बेचे जाते हैं तो फिर कितना मुनाफा कमाया जाता होगा।
खैर इस संकट के दौर में उन चिकन के शौकीनों की लॉटरी जरूर निकल आई, जिनके लिए जायके के आगे सावन खास महत्व नहीं रखता। गैर हिंदुओं के लिए भी यह आकर्षक ऑफर है, जिसका वे लाभ लेते देखे गए। हालांकि कम कीमत होने के बावजूद अधिकांश हिंदू चिकन प्रेमी फिर भी इस ऑफर के प्रलोभन में नहीं फंसे। बावजूद इसके दिन भर में इस दुकान में उतने चिकन की बिक्री हो गई जितना किसी बड़े पर्व या उत्सव के मौके पर हुआ करती है।
भारत में मांसाहार के तीन ऑफ सीजन हुआ करते हैं । दो नवरात्र और सावन महीने में आमतौर पर लोग मांसाहार से दूरी बना लेते हैं और यह ऑफ़ सीजन होता है ।पोल्ट्री फॉर्म संचालक भी इसी के मद्देनजर फार्म में चूजे डालते हैं। लेकिन जिन फार्म संचालकों ने इसका ख्याल नहीं रखा, उन्हें कम कीमत पर चिकन बेचना पड़ रहा है, जिससे कम से कम उनकी लागत तो निकल ही रही है और इसी बहाने उन चिकन प्रेमियों को भी छक कर चिकन खाने का अवसर मिल रहा है, जिनकी जेब सामान्य दिनों में इसकी इजाजत नहीं देती।

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