कुरेनर में उफनती नदी पार करते समय 6 लोग वहे गए,स्थानीय लोगों की मदद से बची सबकी जान….

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–

पखांजुर@…..
कांकेर जिले के अंदुरुनी क्षेत्र के कई गांव बरसात के समय टापू में तब्दील हो जाता हैं,जैसे कुरेनर से इरपनार पहुच मार्ग स्टेट हाइवे से गुजरा नदी स्टेट हाइवे 26 बेटियां से ताड़बेली पहुच मार्ग पर से गुजरा नदी बेचाघट से शितराम पहुँच मार्ग पर से गुजरा कोटरी नदी संगम से बेचाघट पहुच मार्ग पर से गुजरा कोटरी नदी संगम से पिव्ही नं.62 पहुच मार्ग पर से गुजरा अंजारी नदी पर ब्रिज (पुल) ना होने के चलते इस इलाके के सैकड़ों गांव बरसात के इन दिनों जल भराव से टापू में तब्दील हो जाता है।

इन इलाकों में हर साल किसी न किसी को नदी पार करते समय वहे जाना आम बात हो गया है,पिछले 10 दिनों से कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र में लगातार हो रहे तेज बारिश इन इलाकों के नदी नाला उफान पर हैं,ऐसे में जिन नदी में पुलिया बन गया है वह कोई परेशानी नही है लेकिन जिन नदी नालो में पुलिया नही बना है,वह बरसात में आफत बन जाता है,जिसमे से एक नदी है कुरेनर नदी कुरेनर नदी में पुलिया नही बना है वह रपटा बना हुआ है,हल्की सी बारिस से रपटा के ऊपर से पानी बहना शुरू हो जाता है,कुरेनर नदी के उस पर कई गांव बसे है,बरसात में यह नदी इलाके के गांव के उन ग्रामीणों के लिए कोई आफत से कम नही है,कोयलीबेड़ा ब्लॉक के अंतिम छोर में बसे लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं।

बारिश के कारण कुरेनर नदी उफान पर है.दिन में कई ग्रामीण रोजमर्रा के सामग्री के लिए नदी पार करते नजर आ रहे हैं,यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है,उफनती नदी पर जिस तरह ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, उससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है,आज कुरेनर नदी में एक बड़ा घटना होते होते टल गया,चार युवक मोटरसाइकिल को लेकर नदी पार कर रहे थे और दूसरे और से टीने की डोंगि में सवार होकर 3 लोग आ रहे थे ऐसे में तेज बहाव बाले स्थान पर आपस में टकरा गया जिससे कि उनका बेलेंस बिगड़ गया,जिससे के कुल 6 लोग नदी में वह गए।

लेकिन इस घटनाक्रम में कोई हताहत नही हुआ है,कुछ दूर वहेने के उपरांत पास खड़े ग्रामीणों की मदद से बाहर आ गए।बरसात में हर वर्ष नदी में इस प्रकार का अप्रिय घटना होता है,हैरत की बात ये है कि यहां प्रशासन ने सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए है।नदी दूसरे छोर पर लगभग छोटे बड़े 50 गांव वसे हैं. यहां के ग्रामीण हर साल बारिश में इसी तरह अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं,ऐसा करना मानो जैसे इनकी आदत बन गई हो।
इस नदी पर पुल की आधारशिला कई बार रखी जा चुकी है,और इस बर्ष निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है,प्रशासन के सुस्त रवैये का नतीजा है कि रोजाना ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं,जरूरी सामग्री के लिए नदी पार करने की मजबूरी बरसात में खेतीबाड़ी का समय है ग्रामीणों को हर जरूरी सामान या किसी जरूरी काम के लिए नदी पार कर दूसरे छोर बांदे बाजार या पखांजुर आना पड़ता है,बारिश के दिनों में जैसे ही कुरेनर नदी का जल स्तर बढ़ता है,ग्रामीणों की जान पर संकट मंडराने लगता है।

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