बंगला भाषा को सेट अप के व्यवस्था की मांग को लेकर समाज प्रमुखों ने मुख्यमंत्री से की चर्चा…

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू-

पखांजूर–
म. प्र. पाठ्य पुस्तक निगम के माध्यम से पुस्तकों का मुद्रण भी किया जाता था तथा निगम कार्यालय भोपाल में बंगला पाण्डुलिपि भी उपलब्ध था।

छत्तीसगढ़ बेंगाली एसोसिएशन कांकेर जिला के पदाधिकारियों समाज प्रमुखों एवं अन्तागढ़ विधानसभा के विधायक अनूप नाग एवं प्रदेश अध्यक्ष अरुण भद्रा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के जन चौपाल शिविर कांकेर रेस्ट हाउस में मुलाकात किया है। संगठन ने परलकोट में निवासरत बंगाली समुदाय के
वर्षो पुरानी मांग की प्रत्येक स्कूलों मातृ भाषा बंगला पढ़ाई हो और बंगाला भाषा का एक पाठ्यक्रम हो, मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा किया है।
ज्ञात हो कि प्रदेश के विभिन्न बंगला भाषी क्षेत्र तत्कालिन केन्द्र सरकार यानी डीएनके प्रोजेक्ट के अधीन था तथा प्रदेश के समस्त बंगला भाषी क्षेत्र में बंगला भाषा का अध्ययन अध्यापन होता था । साथ ही तत्कालिन मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा म. प्र. पाठ्य पुस्तक निगम के माध्यम से पुस्तकों का मुद्रण भी किया जाता था तथा निगम कार्यालय भोपाल में बंगला पाण्डुलिपि भी उपलब्ध था । सन् 1985-86 में केन्द्र सरकार द्वारा डीएनके के समस्त विभाग के साथ शिक्षा विभाग भी पुर्णतः म. प्र. राज्य सरकार को हस्तांतरण कर दिया था। डीएनके के बहुतायात में बसाये गये बंगभाषी ग्रामों में प्रत्येक प्राथमिक , माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में बंगला भाषा पढ़ाये जाने के लिए सेट – अप अनुसार सन् 1986,1987,1989 को प्रत्येक स्कूलों में बंगला शिक्षक को पदस्थ किया गया था । छत्तीसगढ़ राज्य सन् 2000 में गठन के पश्चात् सन् 2008 तक भी शिक्षक छत्तीसगढ़ शासन के सेट – अप में था । छत्तीसगढ़ में नया सेट – अप 2008-09 में तत्कालीन सरकार द्वारा नवीन सेट – अप से बंगला शिक्षक के पद को हटाया गया जबकि छत्तीसगढ़ में विभिन्न क्षेत्र में विशेषकर पखांजूर ( परलकोट ) विकासखण्ड – कोयलीबेड़ा तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा बसाया गया 133 बंगभाषी गांव तथा कोण्डागांव , बचेली भान्सी , धरमपुरा ( जगदलपुर ) बलरामपुर , धरमजयगढ़, माना कैम्प आदि क्षेत्र में बहुतादाद में बंगभाषी लोग निवासरत है । केन्द्र सरकार तथा तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बंगभाषी क्षेत्र के प्रत्येक स्कूलों में बंगला भाषा पढ़ाये जाने हेतु बंगला शिक्षक की व्यवस्था थी । वर्तमान में न ही शिक्षक उपलब्ध है और ना ही छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा मुद्रित पुस्तक उपलब्ध है ।
साथ ही छत्तीसगढ़ शासन की सेट – अप में बंगला भाषा न होने के कारण नवीन शिक्षकों का नियुक्ति नहीं हो पा रही है । फलस्वरूप बंगला भाषी बच्चे अपने मातृभाषा एवं संस्कृति से क्रमशः दूर होते जा रहे है । वही वर्ष 2008 और 2009 से तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बंगला शिक्षक सेट अप से हटाये जाने के कारण बंगभाषी समुदाय अपना मौलिक अधिकारों से वंचित हो रहा है । तब से लेकर अब तक बंगाली सामाजिक संगठन के माध्यम से शासन – प्रशासन से निवेदन करते आ रहे है लेकिन आज तक हमें समुचित न्याय नहीं मिला है ।

सन् 2014 को निखिल भारत बंगाली समन्वय समिति द्वारा बंगला भाषा की नियुक्ति के लिए डॉ . श्यामाप्रसाद मुखर्जी स्टेडियम पखांजूर में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल में संगठन के पदाधिकारी गण बैठा था । दिनांक 13 अगस्त 2014 को लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर छ.ग. से अस्थायी रूप से बंगला भाषा पढ़ाये जाने हेतु दैनिक पारिश्रमिक पर शाला प्रबंधन से अनुमोदन प्राप्त कर जिला कलेक्टर कांकेर के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया था । उक्त आदेश के परिपेक्ष्य में अधिकारी द्वारा शाला प्रबंधन समिति को निर्देशित कर अस्थायी रूप से बंगला भाषी शिक्षक की नियुक्ति किया गया था । खेद की विषय है कि जब शिक्षक ने विभाग के पास कुछ महीना अध्ययन के पश्चात् अपना दैनिक पारिश्रमिक मांग की गई , तो आनन – फानन में लोक शिक्षण संचालनालय नया रायपुर से बिना पारिश्रमिक दिये हुए 31 मार्च 2015 को आदेश पारित कर 01 अप्रैल 2015 को सेवा से पृथक कर दिया । तब से शासन – प्रशासन से बंगाली समाज मातृभाषा में पढ़ाये जाने एवं छत्तीसगढ़ की नवीन सेट – अप में बंगला भाषा के शिक्षक की पद को स्वीकृत कर जंहा पर बहुतादाद में समुदाय निवासरत हैं वंहा प्रत्येक स्कूलों में कम से कम एक विषय बंगला भाषा पढ़ाने हेतु शिक्षक की नियुक्ति दिये जाने एवं दिनांक 13 अगस्त 2014 अस्थायी रूप से लिये गये शिक्षकों को योग्यता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर पुनः सेवा के अवसर दिये जाने हेतु समाज आपसे अनुरोध करता है।
छत्तीसगढ़ बंगाली एसोसियेशन ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि बंगला भाषाओं को सेट – अप में लेकर अध्ययन अध्यापन हेतु इसी सत्र में शिक्षकों की नियुक्ति एवं पुस्तकों की व्यवस्था करे। ताकि परलकोट सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में निवासरत बंगला भाषी के लोग अपने मातृ भाषा मे पढ़ाई कर सके।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ बंगाली एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण भद्रा, कांकेर जिला अध्यक्ष तपन कुमार राय, सचिव श्रीदाम ढाली, उपाध्यक्ष सूजन मंडल, राज्य प्रतिनिधि प्रेमानंद मंडल, मनमोहन मल्लिक, महिला प्रतिनिधि नीलाक्षी विस्वास, समाज प्रमुख भुवन बड़ाई, अमल मंडल, स्वपन विस्वास सहित समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।

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