मो नासीर
कहने को तो सरकारी अफसर जनसेवक है लेकिन इनके दिमाग से सामंत शाही आज भी दूर नहीं हुई है। आजादी के बाद के इन काले साहबो की करतूत से बिलासपुर में हंगामा मचा हुआ है। सरकारी अधिकारी ही नहीं उनका परिवार भी हर जगह वीआईपी ट्रीटमेंट का अभ्यस्त हो चुका है और इसे वे अपना अधिकार भी मानने लगे हैं और जब ऐसा नहीं होता है तो वे प्रतिशोध लेने से भी नहीं चूकते। ऐसा ही कुछ हुआ कानन पेंडारी में भी, जहां 12 जनवरी रविवार को कवर्धा एसडीएम के परिजन कानन पेंडारी घूमने आए थे। आरोप लगाया जा रहा है कि कानन पेंडारी मैं उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया गया। वैसे तो यह सामान्य सी बात है लेकिन इससे कवर्धा एसडीएम उखड़ गए और उन्होंने अपने मातहत अधिकारी को आदेश दिया। जिसके बाद नायब तहसीलदार अभिषेक राठौर ने कानन पेंडारी अधीक्षक और उप वन मंडल अधिकारी विवेक चौरसिया को बलपूर्वक सकरी थाना में घंटों बिठाए रखा। ऐसा सिर्फ विवेक चौरसिया को परेशान करने और उन पर दबाव बनाने के लिए किया गया। इस घटना से छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ बेहद आक्रोशित है और उन्होंने मुख्यमंत्री सहित विधायक और तमाम मंत्रियों को ज्ञापन देते हुए दोषी नायब तहसीलदार और एसडीएम के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ी वन कर्मचारी संघ बिलासपुर और रायपुर में बैठक लेकर आगे की रणनीति तैयार की गई है। साथ ही इसके विरोध में प्रदर्शन करते हुए आईजी और कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि सुविधा भोगी हो चुके अधिकारी और उनके परिवारों के लिए सख्त पैमाने होने के बावजूद भी ना सिर्फ धड़ल्ले से सरकारी मशीनरी का बेजा दुरुपयोग किया जा रहा हैं बल्कि वे इसे अपना अधिकार भी समझ रहे हैं और इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही होती है, इससे सरकार की नीति और मंशा भी स्पष्ट होगी।