छात्र परिषद चुनाव के नामांकन के दौरान छात्रों के दो गुटों में खूनी संघर्ष, एबीवीपी के छात्र नेताओं पर लगाया मारपीट और अपहरण का संगीन आरोप

डेस्क

जिजीयू केंद्रीय विश्वविद्यालय छात्र परिषद चुनाव अब खूनी संघर्ष में तब्दील हो चुका है ।प्रबंधन की गलती से चुनाव की तारीख आगे बढ़ गई जिसके बाद से लगातार कॉलेज केंपस जंग का अखाड़ा बना हुआ था। यहां चुनाव लड़ रहे एनएसयूआई समर्थित  पैनल और एबीवीपी समर्थित संघर्ष पैनल के बीच का संघर्ष खुलकर सामने आ चुका है। एक तरफ लगातार धरना प्रदर्शन जारी है तो वहीं अब यहां मारपीट भी होने लगी है। गुरुवार को एक बार फिर से नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हुई । इसी दौरान एबीवीपी समर्थित  छात्र एनएसयूआई के छात्र नेताओं से भिड़ गए। एबीवीपी नेताओं का आरोप है कि संघर्ष ब्रदर हुड पैनल के साथ बाहरी छात्र भी विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर माहौल बिगाड़ रहे है।

एबीवीपी के छात्रों ने एनएसयूआई छात्र नेता विक्की शर्मा पर फॉर्म छीनकर फाड़ने का आरोप लगाया तो वही विक्की शर्मा का आरोप है कि पिछले कुछ दिनों से विश्वविद्यालय में लगातार दहशत कायम करने वाले सनी केसरी, रौनक केसरी,  बिका सोनकर, लोकेश आदि ने उन्हें देसी तमंचा दिखाकर डराया और कार में बिठा कर उनका अपहरण करने का भी प्रयास किया। आरोप है कि इन्हीं सभी लोगों ने विकी शर्मा के साथ जमकर मारपीट भी की जिसमें विकी शर्मा के सर ,हाथ, पैर और जबड़े में गंभीर चोट आई है जिन्हें इलाज के लिए सिम्स में भर्ती किया गया ।

 केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन पर छात्रों का भरोसा लगातार उठता जा रहा है। एक संगठन विशेष को कुलपति दारा शह देने की बात से छात्र हाईकोर्ट की शरण में जाने की भी बात कर रहे हैं। लगातार धरना प्रदर्शन और बहिष्कार के बाद चुनावी रंजिश अब खूनी रंजिश में तब्दील होने लगी है । खूनी मारपीट के बावजूद दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यह जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रबंधन के पाले में डाल दिया गया लेकिन इतना तो तय है कि जब तक चुनाव नहीं हो जाता तब तक रोजाना इसी तरह का संघर्ष यहां देखने को मिलेगा। जो छात्र गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के मकसद से आते हैं उनका छात्र राजनीति से कोई सरोकार नहीं है लेकिन राजनीति में जाने की मंशा रखने वाले कुछ अति महत्वाकांक्षी छात्र नेताओं के चलते विश्वविद्यालय का माहौल बिगड़ रहा है। जिसकी चिंता ना तो विश्वविद्यालय प्रबंधन को है और न ही प्रशासन को । मौजूदा स्थिति में अब पुलिस और प्रशासन की दखल की जरूरत महसूस की जा रही है । वही दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर खुद को पाक साफ बताने की कोशिश कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति से लगता नहीं कि यहां निष्पक्ष चुनाव संभव होगा जिसे लेकर मतदाता छात्र  छात्राएं भी सहमे हुए हैं।

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