
बिलासपुर में हवाई सेवा का इंतजार करते तो कई दशक बीत गए और अब हवाई सेवा के लिए जारी आंदोलन को भी पूरे 100 दिन हो गए। रविवार को आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर आंदोलन को समर्थन देने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सदस्य और युवाओं की संस्था सबक के सदस्य पहुंचे। बिलासपुर के राघवेंद्र राव सभा भवन के पास हवाई सुविधा जन आंदोलन समिति द्वारा पिछले 100 दिनों से बिलासपुर में हवाई सेवा की मांग के साथ आंदोलन किया जा रहा है । इस बीच करीब 200 सामाजिक, राजनीतिक और अन्य संगठनों द्वारा आंदोलन को समर्थन दिया गया ।18 से 20 हज़ार लोग आंदोलन में शामिल हो चुके हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बड़े नेता भी शामिल है, लेकिन फिर भी अब तक बिलासपुर के चकरभाठा में हवाई सुविधा आरंभ होने की स्पष्ट तस्वीर नहीं भर पाई है। पहले बी कैटेगरी से सी कैटेगरी के हवाई पट्टी के लिए संसाधनों की कमी का रोना रोया गया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसके लिए राशि आवंटित कर दी, वही नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा भी बार-बार सहमति जताने के बाद भी पुख्ता तौर पर अभी कोई नहीं कह सकता कि कब तक बिलासपुर में हवाई सेवा आरंभ होगी। छोटे-छोटे और मध्यम शहरों में भी हवाई सुविधा आरंभ हो चुकी है। बिलासपुर में हवाई सेवा ना होने से बिलासपुर का विकास अवरुद्ध है। यहां छत्तीसगढ़ का हाई कोर्ट होने के साथ रेलवे, एसईसीएल का मुख्यालय है। अपोलो जैसा बड़ा अस्पताल है, जहां त्वरित आने जाने की आवश्यकता पड़ती है ।यहां तक कि बिलासपुर में कोई बड़ा कलाकार भी अपना कार्यक्रम देना इसलिए पसंद नहीं करता क्योंकि उसे रायपुर से बिलासपुर तक लंबा सफर सड़क मार्ग से होकर करना पड़ता है। इस प्रदेश के सबसे बड़े दूसरे शहर में मुख्यमंत्री और बड़े मंत्री कई मर्तबा इसलिए नहीं आ पाते क्योंकी शाम से पहले उनका लौटना संभव नहीं होता और ऐसा इसलिए है क्योंकि बिलासपुर में हवाई सुविधा नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि बिलासपुर में हवाई सुबह सुविधा को लेकर सांसद अरुण साव भी सहमत है और विधायक शैलेश पांडे भी। फिर समझ नहीं आता कि अड़चन कहां है। यही कारण है कि आंदोलन के 100 वे दिन शामिल लोगों ने कहा कि शायद रेलवे जोन और हाईकोर्ट की तरह हवाई सुविधा हासिल करने के लिए भी कोई बड़ा जन आंदोलन छेड़ना पड़ेगा। अगर जल्द ही बिलासपुर में हवाई सुविधा को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई तो बड़े आंदोलन से भी इनकार नहीं किया जा सकता। किसी आंदोलन के 100 दिन का पूरा होना आंदोलन की गंभीरता को तो दर्शाता ही है। यह कोई क्रिकेट मैच नहीं है कि जहां सैकड़ा लगने पर खुशियां मनाई जाए। यह 100 दिन बड़े अफसोसनाक है कि 100 दिन के आंदोलन के बावजूद भी नतीजा अब तक सिफर ही है, लेकिन आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि भले 200 दिन लग जाए या पूरा साल। जब तक बिलासपुर में हवाई सेवा आरंभ नहीं हो जाती तब तक वे आंदोलन खत्म करने वाले नहीं हैं।
