
रवि शुक्ला
जिस धान खरीदी को मुद्दा बनाकर कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई थी, वहीं धान खरीदी और उसके गले में हड्डी की तरह फंसती नजर आ रही है । प्रदेश भर में बारदानों की कमी के चलते तय समय सीमा में पंजीकृत किसानों के धान की खरीदी ना होने पर हर तरफ किसानों का आक्रोश नजर आ रहा है। बुधवार को ऐसे ही आक्रोशित किसानों ने मुंगेली रायपुर मुख्य मार्ग को अवरुद्ध करते हुए सड़क पर चक्का जाम कर दिया। इस दौरान किसानों ने शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मांग पूरी नहीं होने तक चक्का जाम खत्म नहीं करने का इरादा जाहिर किया।
किसानों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि चुनाव से पहले उन्हें अन्नदाता बताकर उनकी मांग पर जन घोषणा पत्र तैयार तो किया गया लेकिन सत्ता में काबिज होने के बाद सरकार किसानों का दर्द महसूस नहीं कर रही। किसानों ने यह भी कहा कि पिछले 15 सालों से भाजपा सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में धान की खरीदी की जाती रही लेकिन तब ऐसी परिस्थितियां सामने नहीं आई, फिर भी विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के नेता भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन करते हुए तमाम खामियां गिनाते थे , लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस के इरादे बदल के गए। किसानों ने आरोप लगाया कि प्रदेश की सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ रही और न हीं उनकी मांग पर गौर किया जा रहा है। 20 फरवरी को धान खरीदी की तय समय सीमा भी समाप्त हो जाएगी , जबकि प्रदेश के हजारों किसानों के धान की बिक्री अब तक नहीं हुई है। टोकन प्राप्त कर चुके किसान भी अपना धान इसलिए नहीं बेच पा रहे है क्योंकि खरीदी केंद्रों में बारदाना ही नहीं है । जब अधिकारियों से इस बाबत सवाल किया जाता है तो वे किसानों को जवाब देना भी अपनी तौहीन समझते हैं। एसी गाड़ियों में चलने वाले अधिकारी अन्नदाता की दुख तकलीफों से नावाकिफ है। इस बार अच्छी बारिश से धान की फसल बेहतर हुई है, लेकिन धान खरीदी में जिस तरह से अड़चन आ रही है उससे किसानों के चेहरे पर खुशी की बजाय मायूसी नजर आ रही है। खेतों से उपजाया गया सोना खलीहानो से खरीदी केंद्रों तक जाने की बाट जोह रहा है। खरीदी केंद्र के बाहर किसान अपने वाहनों में धान भरकर सिर्फ इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश सरकार धान खरीदी के लिए तय समयसीमा को और आगे बढ़ाएगी । अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश में किसानों का गुस्सा प्रदेश सरकार को झेलना पड़ेगा।
