पाखंजुर/ बिप्लब कुण्डू/
मालिक तथा विभागीय अधिकारी भी इस मामले में रूचि नहीं दिखा रहे हैं ! जबकि गाडियों को नोटिस भेजे हुए कई महिना बीत चुके हैं और वन विभाग के अधिकारी जे.आर.नायक कहते हैं मालिको के वालिक आ रहे हैं अगर मालिक द्वारा गाड़िया जमा नहीं करवाती हैं तो हम क्या करे ! सुनिए एक जिम्मेदार अधिकारी की न्याप्रस्थ बाते ! पिछले साल भर से असमर्थ सवित हो रहा वन विभाग के शासकीय अधिकारी और कहते हैं नियमतः कार्य चल रहा हैं समय की कमी थी व्यस्तता ज्यादा हो रही थी ! ज्ञात हो की वन परिक्षेत्र पश्चिम परलकोट बांदे वन विभाग के टीम द्वारा तिरालगाड और गुटानबेड़ा छापामार कार्रवाई किया गया था। जहा पर वन विभाग के क्षेत्र से लाल मुरूम का अवैध उत्खनन कर रहे दो जेसीबी सहित दस टैक्टर को धर दबोचा गया था। वन विभाग द्वारा तिरालगड़ से गुटनबेड़ा में चल रहे कुल 12 गाडियो को जप्त कर राजसाद की कारवाही की गई थी ! जिसके बाद विभाग ने सभी गाडियों को छोड़ दिया मामलो को तुल पकड़ता देख विभाग गाडियों को छोड़ने की वजह सुपुर्दनामा बतलाता रहे हैं मगर आज सालभर बीत चुके हैं सुपुर्दनामा किये गए गाडियों को पिछले 13 नबम्बर 2019 पुनः सभी गाडियों को विभाग के पास लाना था मगर विभाग के पास ना तो गाड़िया आई और ना ही संम्बधित मालिक आये ! दरअसल मामला यह मोटी कमीशनखोरी का हैं विभागीया अधिकारी गाड़ी मालिको से साठ-गाठ कर गाडिया छोड़ दी ! लंम्बी कारवाही करते हुए विभाग सभी गाडियों को सुपुर्दनाम सिर्फ कागजी कारवाही तक सिमट कर रहे गई ! ऐसे में वन विभाग के अधिकारी सवालों के घेरे में आना लाजमी हैं अगर ऐसे ही शासन-प्रशासनिक अधिकारी के मिलीभगत से मामले को दावा दिया जाता हैं तो वो दिन दूर नहीं जब न्याय प्रणाली से जनता का विश्वास उठ जायेगा और समूचे भारतवर्ष में सिर्फ भ्रष्टचारी ही रहे जायेंगे !
इस संम्बंध में जे.आर.नायक सी.सी.एफ.कांकेर ने बतलाया काम की व्यस्थता थी नियमतः कार्य चल रहा हैं अगर नोटिस के बाद भी गाड़िया जमा नहीं करवाते हैं तो मैं क्या करू !