आकाश दत्त मिश्रा
प्रचलित तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुए बिलासपुर पुलिस ने अपने ही विभाग के अधिकारी को बलि का बकरा बनाया है। आदतन बदमाश और कई मामलों में आरोपी रह चुके समीर खान ने हाल ही में एक युवक की पिटाई कर दी थी, जिसकी शिकायत उसके खिलाफ सिरगिट्टी थाने में की गई थी। इसी मामले को रफा-दफा करने के लिए वह अपनी कथित प्रेमिका पर दबाव बनाने बार-बार आत्महत्या का प्रयास कर रहा था और पुलिस से भी कह रहा था कि वह उस मुस्लिम युवती के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करें। पुलिस इस मामले में जांच और बयान की कार्यवाही कर रही थी। इसी दौरान 4 फरवरी की रात समीर खान ने अपने भाई के साथ मिलकर खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा लिया और दौड़ते हुए सिविल लाइन थाने में प्रवेश कर गया। किसी तरह मौजूद थाना स्टाफ ने आग बुझाकर उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जिसे इलाज के लिए रायपुर रिफर किया था गया था, लेकिन इलाज के दौरान 9 फरवरी को समीर खान की मौत हो गई।
इस मामले में बढ़ते दबाव के चलते पुलिस पस्त नजर आई और उन्होंने पहले तो थाना प्रभारी सनिप रात्रे को कारण बताओ नोटिस जारी किया और फिर उनका तबादला तारबाहर थाने कर दिया। लेकिन पुलिस दिनभर आशंकित थी कि कहीं अपराधी समीर खान के समर्थक बड़ा जन आंदोलन न कर दें। इसलिए पुलिस के आला अधिकारी दिनभर तालापारा में बैठक करते रहे और अंततः उनके दबाव का नतीजा यह रहा कि बिना किसी दोष के ही सनिप रात्रे लाइन अटैच कर दिए गए। पुलिस ने वही कार्यवाही की जो समीर खान और उनके समर्थक चाहते थे, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने यह नहीं सोचा कि इससे पुलिस का मनोबल कितना कम होगा और भविष्य में किसी भी ऐसे अपराधी के आगे के खिलाफ पुलिस किसी भी तरह की कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचेगी।
इस मामले ने फिर से साबित किया कि संगठन में ताकत होती है। समीर खान जैसे अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति के जमात के संगठन के आगे पुलिस को अपने अधिकारी को दंडित करना पड़ा। इसी थाने में राम अय्यर जैसे सरफिरे के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई थी। जिसने ब्राह्मण बेटियों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक पोस्ट किया था, लेकिन सनिप रात्रे के ही कार्यकाल में उसके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई और आज तक वह गिरफ्तार तक नहीं हो पाया। शायद उन्हें ब्राह्मण बेटियों की ही आह लगी है। कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम इस पूरे मामले की जांच करेंगे ।तब तक के लिए सनिप रात्रे को लाइन अटैच किया गया है।