बिलासपुर जिले में भी हो रही है चंदन की तस्करी, पुलिस को देखकर भागे तस्कर, 1 क्विंटल से अधिक चंदन की लकड़ी बरामद

यूनुस मेमन

बिलासपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र गौरेला, पेंड्रा ,मरवाही तथा कोरिया में बड़े पैमाने पर सफेद चंदन के पेड़ों की उपज होती है। यही वजह है कि यहां भी चंदन तस्कर सक्रिय है। पुलिस को सूचना मिली थी कि दो युवक नया बस स्टैंड रतनपुर में बोरियों में भरकर सफेद चंदन की लकड़ी लेकर उत्तर प्रदेश जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहे हैं । सूचना मिलते ही रतनपुर पुलिस एक टीम बनाकर बस स्टैंड रतनपुर में खड़े दो अज्ञात युवकों को गिरफ्तार करने पहुंची । पुलिस को देखते ही दोनों भाग खड़े हुए। पुलिस ने हालांकि उनका पीछा किया लेकिन अंधेरे का लाभ उठाकर दोनों गुम हो गए । बाद में पुलिस ने उनके छोड़े हुए बोरे को चेक किया, जिसमें लगभग 2- 2 फीट लंबाई के कुल 15 नग सफेद चंदन के पेड़ की लकड़ी मौजूद थी।

वजन करने पर इनका वजन 110 .11 किलोग्राम निकला। बरामद चंदन लकड़ी की कीमत करीब 5 लाख रुपये है। शासन द्वारा चंदन लकड़ी की तस्करी प्रतिबंधित है। भारतीय वन अधिनियम के तहत भी यह दंडनीय अपराध है। आम तौर पर इसका उपयोग औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और धार्मिक कार्यों में किया जाता है। छत्तीसगढ़ का सफेद चंदन दुर्लभ है इसलिए इसे चोरी छुपे अन्य प्रदेशों में ले जाकर महंगे दामों में बेचा जाता है । फिलहाल पुलिस फरार तस्करों की तलाश कर रही है।

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