प्रदेशव्यापी छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान, 24 दिसंबर को रहेगा असर,सर्व समाज ने जनजातीय आस्था पर आघात और प्रशासनिक पक्षपात का लगाया आरोप

शशि मिश्रा


रायपुर।
प्रदेश में लगातार उत्पन्न हो रही सामाजिक अशांति, जनजातीय आस्था पर आघात और संगठित रूप से बढ़ते सांस्कृतिक टकराव के विरोध में सर्व समाज, छत्तीसगढ़ ने 24 दिसंबर 2025 को प्रदेशव्यापी छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया है। सर्व समाज ने स्पष्ट किया है कि यह बंद पूर्णतः शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और संवैधानिक दायरे में आयोजित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न सामाजिक, जनजातीय और नागरिक संगठनों की सहभागिता रहेगी।
सर्व समाज के अनुसार कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र में हाल ही में हुई घटना कोई एकमात्र मामला नहीं है। इससे पूर्व भी प्रदेश के जनजातीय, ग्रामीण और मैदानी क्षेत्रों में इस प्रकार के विवाद सामने आते रहे हैं। संगठन का आरोप है कि एक निश्चित पैटर्न के तहत ईसाई मिशनरियों और कन्वर्जन-प्रेरित समूहों द्वारा सुनियोजित ढंग से ऐसे हालात बनाए जा रहे हैं, जिससे समाज में तनाव, टकराव और वैमनस्य फैल रहा है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव जनजातीय समुदायों पर पड़ रहा है।
आमाबेड़ा की घटना को लेकर सर्व समाज ने आरोप लगाया कि पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम सभा की भूमिका और जनजातीय परंपराओं की संवैधानिक सुरक्षा की अनदेखी की गई। स्थानीय विरोध के बावजूद जिला पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता, बाहरी संगठनों की भूमिका और कथित पक्षपातपूर्ण कार्रवाई ने प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
सर्व समाज की प्रमुख मांगें
सर्व समाज, छत्तीसगढ़ ने शासन के समक्ष अपनी कई मांगें रखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं—
राज्य में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को सख्ती से लागू कर जबरन, प्रलोभन या षड्यंत्रपूर्वक होने वाले धर्मांतरण पर रोक।
कांकेर जिले में जनजातीय समाज पर हुए कथित संगठित हमले के लिए जिम्मेदार तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई।
कांकेर के पुलिस अधीक्षक की भूमिका की उच्च स्तरीय, निष्पक्ष जांच और निलंबन की मांग।
शव दफन प्रक्रिया के दौरान कथित पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई।
जनजातीय ग्रामीणों पर दर्ज आपराधिक प्रकरणों को निरस्त कर पीड़ितों को उचित मुआवजा।
सर्व समाज ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन किसी धर्म या समुदाय के विरुद्ध नहीं, बल्कि संविधान, जनजातीय आस्था, सामाजिक समरसता और कानून के शासन की रक्षा के लिए है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि शासन-प्रशासन समय रहते निष्पक्ष और ठोस निर्णय नहीं लेता, तो आंदोलन को लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से और व्यापक किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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