राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस पर ‘जलवायु की पाठशाला’ का प्रभाव—बिलासपुर के 4,000 से अधिक बच्चे हुए पर्यावरण साक्षर

बिलासपुर। प्रति वर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस इस बार “हरित भविष्य के लिए सतत जीवन” विषय के साथ पूरे देश में जागरूकता का संदेश लेकर आया। इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए बिलासपुर जिले में स्कूली बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक विशेष पहल ‘जलवायु की पाठशाला’ तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर के नेतृत्व में शहर के भारत माता आंग्ल माध्यम शाला के इको क्लब के छात्र-छात्राओं ने शिक्षण की नवीन विधियों के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की है। बिलासपुर जिले के 10 मिडिल स्कूलों में यह पाठशाला लगातार संचालित की जा रही है।

आकर्षक चित्रों, कॉमिक्स और नाटकों से बच्चों को किया जागरूक
कार्यक्रम के तहत बच्चों को सरल व रोचक तरीके से बताया जा रहा है कि एकल उपयोग वाली प्लास्टिक का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए, घर से निकलने वाले कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में कैसे डालें, प्लास्टिक कचरे को जलाने से क्या नुकसान होते हैं और उसका उचित निष्पादन कैसे किया जाए।
चित्रों, कॉमिक्स, पोस्टर्स और छोटे-छोटे नाटकों के माध्यम से बच्चों को प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्परिणाम समझाए जा रहे हैं, जिससे उनमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति गहरी रुचि दिखाई दे रही है।

बच्चे बन रहे हैं ‘पर्यावरण योद्धा’
इस मुहिम से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में विद्यार्थी जुड़ रहे हैं। विशेष रूप से प्रति शनिवार मनाए जाने वाले ‘बैग-लेस डे’ पर बच्चे सक्रिय रूप से इस अभियान में शामिल हो रहे हैं और न केवल खुद जागरूक हो रहे हैं, बल्कि अपने आसपास के समुदाय को भी प्रदूषण के प्रति सचेत कर रहे हैं।

4,000 से ज्यादा बच्चों ने सीखे पर्यावरण सुरक्षा के पाठ
अब तक बिलासपुर शहर के करीब चार हजार स्कूली विद्यार्थियों और स्थानीय लोगों को पर्यावरण साक्षर बनाया जा चुका है। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा, जिसका लक्ष्य समाज को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और सतत जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

राष्ट्रीय प्रदूषण निवारण दिवस के अवसर पर शुरू की गई यह पहल आने वाले दिनों में शहर को अधिक स्वच्छ, हरित और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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