

अयोध्या।
रामनगरी अयोध्या मंगलवार को एक बार फिर ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन की साक्षी बन गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा धर्म ध्वजा फहराया। यह ध्वजारोहण राम मंदिर के निर्माण कार्य के पूर्ण होने का प्रतीक माना जा रहा है। मंदिर का भूमि पूजन 5 अगस्त 2020 को और प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को इसी मुहूर्त में सम्पन्न हुआ था। वैदिक मान्यताओं के अनुसार अभिजीत मुहूर्त सूर्य ऊर्जा से युक्त सबसे शक्तिशाली और शुभ समय माना जाता है।
पीएम ने रोड शो के बाद रामलला का दर्शन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग ढाई किलोमीटर के रोड शो के बाद राम मंदिर परिसर पहुंचे। उन्होंने श्रीराम दरबार में पूजा-अर्चना की और गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शन किए। रामलला को मंगलवार सुबह मंगला आरती के बाद दो घंटे तक अभिषेक किया गया और सोने के धागों से बनी विशेष पीतांबरी धारण करवाई गई। पीएम ने रामलला की आरती कर स्वर्ण छत्र चढ़ाया। प्रसाद स्वरूप उन्होंने केवल मिश्री और तुलसी दल ग्रहण किया।

21 हजार अतिथि पहुंचे, कठोर सुरक्षा व्यवस्था
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से इस भव्य कार्यक्रम में देशभर के लगभग 21 हजार विशिष्ट लोगों को आमंत्रित किया गया।
इनमें 3 हजार साधु-संत, 3 हजार विशेष अतिथि और लगभग 15 हजार अन्य आमंत्रित शामिल रहे।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख हस्तियां:
संघ प्रमुख मोहन भागवत
उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अदाणी
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
अभिनेता अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार
गायक सोनू निगम
क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, एम.एस. धोनी
शतरंज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद
पूरे परिसर को 7 हजार विशेष सुरक्षा जवानों के घेरे में सुरक्षित किया गया था। सभी अतिथियों को ट्रस्ट की ओर से विशेष टिफिन में लड्डू प्रसाद दिया गया।
मंदिर शिखर पर फहराई गई विशेष ‘धर्म ध्वजा’
धर्म ध्वजा केसरिया रंग की है और इसमें तीन पवित्र प्रतीक दर्शाए गए हैं—

सूर्य चिह्न: भगवान राम के सूर्यवंश का प्रतीक
ॐ (ओमकार)
कोविदार वृक्ष: रामायण में वर्णित पवित्र वृक्ष
ध्वज की विशेषताएं:
ऊंचाई: 42 फीट का ध्वज दंड
लंबाई: 20 फीट
चौड़ाई: 11 फीट
वजन: 2.5 किलो
360 डिग्री घूमने की क्षमता
ध्वजारोहण से पहले राम मंदिर को विशेष रोशनी से सजाया गया था।
विवाह पंचमी पर भी रही धार्मिक रौनक

मंगलवार को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी का पावन पर्व भी मनाया गया। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस अवसर पर शहर के विभिन्न प्रमुख मंदिरों—व्यंकटेश मंदिर, हरदेवलाल मंदिर, तिलक नगर श्रीराम मंदिर—में रामचरितमानस पाठ, विशेष पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान किए गए।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार विवाह पंचमी पर ध्रुव, सर्वार्थ सिद्धि और शिववास जैसे तीन शुभ योग बन रहे थे।
इन योगों में राम–सीता की पूजा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता और स्थिरता आती है।
विवाह में बाधा होने पर मिला समाधान
पंडितों के अनुसार जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्होंने विवाह पंचमी के अवसर पर व्रत रखकर राम–सीता का पूजन कर समाधान पाया। कई लोगों ने प्रतीकात्मक राम–सीता विवाह भी कराया।
वहीं, वैवाहिक जीवन में तनाव झेल रहे दंपतियों ने राम चरित मानस के राम–सीता प्रसंग का पाठ कर मनोवांछित फल की प्राप्ति की कामना की।
अयोध्या आज फिर एक बार रामभक्ति, आस्था और भारतीय संस्कृति के अनूठे संगम का केंद्र बन गई, जहां राम मंदिर निर्माण पूर्ण होने के संकेत के रूप में धर्म ध्वजा लहराकर इतिहास का नया अध्याय स्थापित किया गया।
