महमंद में धूमधाम से मनाया गया 54वां रावतनाथ महोत्सव, हजारों की मौजूदगी में यदुवंशियों ने दिखाया शौर्य

मस्तूरी विधानसभा के ग्राम पंचायत महमंद में रावतनाथ महोत्सव का 54वां वर्ष इस बार बड़े ही उत्साह और पारंपरिक गरिमा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत हनुमान मंदिर में श्रीफल तोड़कर और आशीर्वाद लेकर की गई। इसके बाद मंच पर राधा–कृष्ण के छायाचित्र पर पुष्पहार अर्पित कर दीप प्रज्वलन के साथ महोत्सव का औपचारिक शुभारंभ हुआ।

आसपास के गांवों से आए यदुवंशी समुदाय के सदस्यों ने पारंपरिक रावत नाच में अपनी प्रतिभा, शौर्य और संस्कृति का बेहतरीन प्रदर्शन किया। श्रृंगार और भावों से भरे प्रतिभागियों ने माहौल को उत्साह और आनंद से भर दिया। पूरा ग्राम महमंद रंगीन रोशनी और सांस्कृतिक उल्लास से सराबोर दिखाई दिया।

प्रतियोगिता के परिणाम
रावत नाच प्रतियोगिता में इस वर्ष भी कड़ी टक्कर देखी गई। निर्णायकों द्वारा प्रदर्शन के आधार पर निम्नानुसार पुरस्कार घोषित किए गए—

  • प्रथम पुरस्कार (₹15,000) – सीलपहरी
  • द्वितीय पुरस्कार (₹11,000) – खमतराई
  • तृतीय पुरस्कार (₹9,000) – भरनी
  • चतुर्थ पुरस्कार (₹7,000) – चकरभाठा
  • पंचम पुरस्कार (₹5,000) – नगपुरा
    इसके अलावा सभी प्रतिभागी दलों को प्रोत्साहनस्वरूप ₹3,000 के सांत्वना पुरस्कार और रनिंग शील्ड प्रदान की गई।

विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया कार्यक्रम का गौरव
महोत्सव में प्रमुख रूप से जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी, जिला पंचायत सभापति अरुण चंद्र प्रकाश सूर्या, जिला पंचायत सभापति राधा खिलावन पटेल, जनपद अध्यक्ष बिल्हा रामकुमार कौशिक, जनपद उपाध्यक्ष विक्रम सिंह ठाकुर, जिला पंचायत सभापति जागरण कश्यप, विधायक प्रतिनिधि उमेश गौराहा, ग्राम पंचायत महमंद की सरपंच पूजा विकी निर्मलकर, जनपद सदस्य रामादेवी मौर्य, प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली, एवं यादव समाज के प्रमुख सीना यादव, दिलहरण यादव, बाबूलाल यादव, सहित समाज के कई वरिष्ठजन और प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

इसके अलावा अभिलेश यादव, जितेंद्र राय, बीपी सिंह, मुकेश राव, मनोज सिंह ठाकुर, विवेक पटेल, अमित रजक, ओमप्रकाश सूर्या, दीपक साहू, आकाश निषाद, माधव साहू, राम टंडन, गैंगे निर्मलकर, कुलदीप रजक, अशोक साहू, ललन सूर्यवंशी, मनहरण सतनामी, रामफल यादव, संजय सूर्यवंशी, सहित बड़ी संख्या में युवा और ग्रामीणजन कार्यक्रम में शामिल हुए।

ग्राम महमंद में आयोजित यह भव्य सांस्कृतिक आयोजन न केवल यदुवंशियों की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक बना, बल्कि पूरे क्षेत्र में उत्साह और सामुदायिक एकता का संदेश भी दिया।

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