गेवरा–बिलासपुर मेमू हादसा: सीआरएस जांच में नई कार्रवाई, बिलासपुर जोन के 4 शीर्ष अफसर कोलकाता तलब

गेवरा–लालखदान के बीच 4 नवंबर को हुई मेमू ट्रेन और मालगाड़ी की टक्कर की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। मामले की जांच कर रहे दक्षिण पूर्वी सर्किल के आयुक्त रेल सुरक्षा (सीआरएस) बी.के. मिश्रा ने बिलासपुर जोन के चार विभागीय प्रमुखों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ सोमवार को कोलकाता उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों के अनुसार कोलकाता बुलाए गए अफसरों में प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर, प्रिंसिपल चीफ मेडिकल डिपार्टमेंट, और प्रिंसिपल चीफ सेफ्टी ऑफिसर शामिल हैं। सीआरएस ने इन विभागों से मांगे गए कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बिलासपुर में जांच के दौरान उपलब्ध न होने पर यह कदम उठाया है।

5 से 9 नवंबर तक विस्तृत जांच, 28 लोगों से पूछताछ

सीआरएस बी.के. मिश्रा 5 नवंबर को बिलासपुर पहुंचे थे। उन्होंने सबसे पहले गतौरा रेलवे स्टेशन के ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम का बारीकी से परीक्षण किया और ट्रेन संचालन से जुड़े पैनल से पल-पल की जानकारी जुटाई।
6 से 9 नवंबर तक उन्होंने 28 लोगों से पूछताछ की। अंतिम दिन चार विभाग प्रमुखों से भी लंबी चर्चा की गई, जिसके बाद कई तकनीकी व प्रशासनिक दस्तावेज मांगे गए थे। मगर कुछ दस्तावेज मौके पर उपलब्ध नहीं हो पाए।

लोको पायलट की डिजिटल गतिविधियों का भी खंगाला जाएगा रिकॉर्ड

सीआरएस ने जो अतिरिक्त जानकारी मांगी है उसमें शामिल हैं—

  • सहायक लोको पायलट (ALP) की वास्तविक स्थिति और बयान
  • दोनों लोको कर्मियों की फोन कॉल रिकॉर्डिंग
  • वॉट्सऐप चैटिंग
  • यू-ट्यूब उपयोग समय
  • इंजन में लगे कैमरे की वॉइस एवं वीडियो रिकॉर्डिंग
  • दुर्घटना से जुड़े अन्य तकनीकी डेटा

हादसे में गंभीर रूप से घायल असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज का इलाज अपोलो अस्पताल में चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक वह अभी बयान देने की स्थिति में नहीं है।

जांच में तेजी, कारणों पर जल्द होगा खुलासा

मेमू ट्रेन के लालखदान के पास मालगाड़ी से टकराने की घटना में कई यात्री घायल हो गए थे। प्रारंभिक जांच में सिग्नलिंग और मानव त्रुटि दोनों दिशाओं में संदेह बना हुआ है। अब शीर्ष अधिकारियों से विस्तृत ब्योरा मिलने के बाद सीआरएस अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देंगे।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए हर तकनीकी और मानवीय पहलू की गहन जांच की जा रही है।

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