बड़ी बहन ने देर रात तक मोबाइल चलाने पर टोका तो छोटी बहन ने कर ली खुदकुशी

गुस्सा तो आजकल की लड़कियों के नाक पर रहता है। जिद ऐसी कि अपनी बात मनवाने के लिए वह किसी भी हद से गुजर सकती है। ऐसी ही स्वभाव वाली लड़की को देर रात फोन पर बात करने से बड़ी बहन ने टोका तो 14 साल की नौवीं कक्षा की छात्रा ने नदी में छलांग लगा दी। परेशान करने वाली यह घटना बिलासपुर के राजकिशोर नगर की है।

राजकिशोर नगर स्थित ब्रह्मकुमारी आश्रम के पीछे रहने वाले अरुण कठौते प्राइवेट जॉब करते हैं । उनकी छोटी बेटी अदिति कठौते उम्र 14 वर्ष सोमवार की रात 1:30 बजे तक मोबाइल देख रही थी। माता-पिता ऊपर के कमरे में सो रहे थे। दोनों बहन पढ़ाई करने के नाम पर नीचे के कमरे में थी। रात 1:30 बजे भी बहन को मोबाइल चलाते देखकर बड़ी बहन ने उसे टोका और कहा कि अब सो जा।

इतने में ही अदिति गुस्से में बेकाबू हो गई और उसने घर से निकल कर दौड़ना शुरू कर दिया। बड़ी बहन को कुछ समझ नहीं आया। उसने इसकी सूचना तक माता-पिता को नहीं दी और वह भी उसके पीछे-पीछे भागने लगी। दौड़ते- दौड़ते अदिति छठ घाट पुल पर पहुंची और इससे पहले की उसकी बड़ी बहन चेतना कुछ समझ पाती अदिति ने नदी में छलांग लगा दी। इसके बाद चेतना बदहवास इधर-उधर भागनेलगी जिसे देखकर पुल से गुजर रहे कुछ लोग रुके और उन्होंने मदद करने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अदिति गहरे पानी में समा गई थी।
इसकी जानकारी होने पर अरुण कमल कठौते और उनकी पत्नी भी मौके पर पहुंची लेकिन सब बेबस थे।

दूसरे दिन मंगलवार को एसडीआरएफ की टीम ने अदिति के शव को अरपा नदी से दो घंटे की मशक्कत कर निकाला।

सोचिये उस बहन पर क्या बीती होगी जिसने अदिति को अपनी आंखों के सामने नदी में छलांग लगाते और मर जाते देखा होगा। उसने शोर मचाकर लोगों से मदद भी मांगी लेकिन कुछ नहीं हो सका।
सामाजिक विश्लेषक सालों से महिला पुरुष के बीच के लिंगानुपात के अंतर को लेकर चिंता जाहिर कर रहे थे । एक दौर में दहेज प्रताड़ना, दहेज हत्या के कारण बेटियों की संख्या कम होती चली गई ।नतीजा यह है कि आजकल की लड़कियां अपनी कीमत समझने लगी है। छोटी-छोटी उम्र की लड़कियों में भी अहंकार गहरे तक समाया हुआ है। उन्हें कुछ भी कह दो तो उनका गुस्सा फूट पड़ता है। वे ना तो माता-पिता और गुरुजनों की मानते हैं और ना ही अपने बड़े भाई बहनों की। अदिति की बहन ने रात 1:30 बजे अगर उसे मोबाइल चलाने से रोका तो उसने कुछ गलत नहीं किया । उसे भी नहीं पता था कि इतनी सी बात पर अदिति जान दे देगी । जानकार इसे एंजायटी और डिप्रेशन का परिणाम भी बता रहे हैं। किसी उद्देश्य में मिली असफलता, दोस्तों के बीच अपनी पहचान न बना पाने की कुंठा और कुछ हासिल न कर पाने का आक्रोश इस तरह की घटनाओं का कारण बनता है।
अदिति के माता-पिता बार-बार बड़ी बेटी से कह रहे हैं कि उसने उन्हें इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी ? जबकि सच्चाई यह है कि जब अदिति भाग रही थी तो उसकी बड़ी बहन के पास इतना समय नहीं था कि वह यह सब कुछ अपने माता-पिता को बता सके और जब तक वह कुछ समझ पाती तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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