
आलोक वालिम्बे

बिलासपुर।
स्मार्ट सिटी योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से तैयार की गई पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी स्मार्ट रोड (नेहरू नगर से नर्मदा नगर मार्ग) पर लगाया गया ट्रैफिक सिग्नल महीनों से बंद पड़ा है। शहर के व्यस्ततम मार्गों में शामिल इस सड़क पर लगातार वाहनों की आवाजाही रहती है, लेकिन यहां सिग्नल व्यवस्था ठप है।
करोड़ों की लागत से बनी स्मार्ट रोड पर अव्यवस्था
बिलासपुर स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इस मार्ग को शहर की पहली मॉडल स्मार्ट रोड के रूप में विकसित किया गया था। सड़क के दोनों ओर स्ट्रीट लाइट, पाथवे, और ट्रैफिक सिग्नल जैसी सुविधाओं का निर्माण किया गया।
लेकिन स्थानीय नागरिकों के अनुसार, ट्रैफिक सिग्नल महीनों से काम नहीं कर रहे हैं।
वहीं कुछ कदम की दूरी पर एक और सिग्नल पॉइंट के लिए खंभा तो लगाया गया है, लेकिन वहां अभी तक लाइटें नहीं लगाई गईं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस चौराहे पर चारों दिशाओं से भारी वाहनों का दबाव रहता है।
पीक ऑवर में यहां से स्कूल बसें, ऑटो, बाइक और कारें एक साथ गुजरती हैं।
इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस के जवानों की तैनाती नहीं की गई है, और सिग्नल भी बंद पड़े हैं, जिससे आए दिन वाहन चालकों के बीच भ्रम की स्थिति बनती है।
कई बार छोटी-मोटी दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं, लेकिन अब तक इस पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान नहीं गया है।
क्षेत्रवासियों ने उठाई आवाज
नेहरू नगर, नर्मदा नगर और आसपास के इलाकों के निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि—
- बंद पड़े ट्रैफिक सिग्नल को तत्काल शुरू किया जाए।
- जहां सिग्नल लगाने के लिए खंभा लगाया गया है, वहां अस्थाई चौक बनाकर स्टॉपर लगाए जाएं।
- ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवानों की स्थाई तैनाती की जाए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य शहर में बेहतर यातायात व्यवस्था और नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित करना था, लेकिन वास्तविकता इसके उलट दिखाई दे रही है।
दुर्घटना की आशंका बढ़ी
क्षेत्र में लगातार बढ़ते यातायात और सिग्नल बंद होने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
स्मार्ट रोड पर कई बार स्कूली बच्चे और बुजुर्ग वाहन चालकों के बीच फंस जाते हैं।
रोज़मर्रा के वाहन चालकों का कहना है कि जब तक यहां स्थाई चौक और सिग्नल दोनों सक्रिय नहीं होंगे, तब तक किसी बड़े हादसे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने नगर निगम और ट्रैफिक विभाग से आग्रह किया है कि स्मार्ट सिटी की साख बनाए रखने के लिए इस तरह की लापरवाहियों पर तुरंत संज्ञान लिया जाए।
स्मार्ट रोड की पहचान ही स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम से थी, लेकिन फिलहाल यह नाम के लिए ही “स्मार्ट” रह गई है।
बिलासपुर जैसे तेजी से विकसित होते शहर में ट्रैफिक सिग्नल जैसी मूलभूत व्यवस्था का ठप रहना प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।
क्षेत्रवासियों की मांग है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर चल रहे इन अधूरे कार्यों को जल्द पूरा किया जाए, ताकि लोगों को सुविधा मिले और शहर की यातायात व्यवस्था वास्तव में “स्मार्ट” बन सके।
हालांकि बिलासपुर यातायात पुलिस का दावा है कि यहां लगाया गया ट्रैफिक सिग्नल व्यवहारिक साबित नहीं हुआ, इस सिग्नल की वजह से यहां ट्रैफिक बाधित हो रहा था इसलिए इस सिग्नल को बंद रखने का निर्णय लिया गया है और भविष्य में इसकी आवश्यकता पड़ने पर इसे पुनः आरंभ किया जाएगा।
