

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि दीपावली का त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है।
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 03:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर 2025, शाम 05:54 बजे तक रहेगा।
चूँकि लक्ष्मी पूजा हमेशा प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) में अमावस्या तिथि के दौरान की जाती है, इसलिए 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना शुभ और श्रेष्ठ माना गया है।
दीपावली के शुभ मुहूर्त (लक्ष्मी पूजा)
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त प्रदोष काल और वृषभ काल में होता है।
प्रदोष काल शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक 02 घंटे 32 मिनट।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक 01 घंटा 10 मिनट
वृषभ काल शाम 07:08 बजे से रात 09:03 बजे तक 01 घंटा 55 मिनट
स्थिर लग्न रात्रि 2:36 से प्रातः 4:02 तक
रात्रि 1:52 से रात्रि 3:54 तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
21अक्टूबर 2025 मंगलवार को दीपावली पूजन का लाभ-अमृत मुहूर्त प्रातः 10:21 से दोपहर 1:15 तक तत्पश्चात शुभ मुहूर्त दोपहर 2:41 से शाम 4:08 तक रहेगा एवं अंतिम गोधूली बेला का मुहूर्त शाम 4:40 से शाम 5:54 तक रहेगा। इसके साथ ही अमावस्या तिथि का समापन हो जाएगा।
दीपावली का त्योहार ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ और ‘असत्य पर सत्य की जीत’ का प्रतीक है।
श्री राम का अयोध्या लौटना: यह दीपावली मनाने का सबसे प्रचलित कारण है। मान्यता है कि भगवान श्री राम, 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और रावण का वध करके, अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घी के दीये जलाकर पूरी नगरी को प्रकाशित किया था।
देवी लक्ष्मी का जन्म: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन उनकी पूजा धन, समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए की जाती है।
भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध: एक दिन पहले, नरक चतुर्दशी पर, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और 16,000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसी विजय की खुशी में दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।
पांडवों की वापसी: महाभारत के अनुसार, पांडव 12 साल के वनवास और 1 साल के अज्ञातवास के बाद इसी दिन हस्तिनापुर लौटे थे, जिसकी खुशी में नगरवासियों ने दीप जलाए थे।
