

बिलासपुर/वाराणसी। इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि दो दिन रहेगी, लेकिन दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर (सोमवार) को ही मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों ने दीपावली पूजन की तिथि को लेकर चल रहे भ्रम को दूर करते हुए स्पष्ट किया है कि 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजन शुभ और शास्त्रसम्मत रहेगा।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. विनय कुमार के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:43 बजे तक रहेगी। चूंकि पहले दिन अमावस्या तिथि प्रदोष और निशीथ काल (रात्रि) में रहेगी, इसलिए दीपावली इसी दिन मनाना श्रेष्ठ माना गया है। अगले दिन अमावस्या सूर्यास्त से पहले समाप्त हो जाएगी और प्रतिपदा लग जाएगी, जबकि दीपावली एक निशीथ कालीन पर्व है, जिसमें रात के समय लक्ष्मी पूजन किया जाता है।

वाराणसी के आचार्य कमलेश शास्त्री ने भी बताया कि पूर्ण प्रदोषकाल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही पड़ रही है, इसलिए दीपावली पूजन इसी दिन करना उचित रहेगा। 21 अक्टूबर की शाम प्रतिपदा तिथि लगने से उस दिन दीपावली नहीं मनाई जाएगी।
वहीं उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. विजय दीक्षित ने कहा कि लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को ही श्रेष्ठ रहेगा। हालांकि जो लोग कारखानों या दफ्तरों में कार्यरत हैं और रात में पूजन नहीं कर सकते, वे 21 अक्टूबर की सुबह लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 21 अक्टूबर को स्नान-दान अमावस्या रहेगी, जबकि गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
👉 संक्षेप में:
- दीपावली: 20 अक्टूबर (सोमवार)
- अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:43 बजे तक
- स्नान-दान अमावस्या: 21 अक्टूबर (मंगलवार)
- गोवर्धन पूजा: 22 अक्टूबर (बुधवार)
