

रायपुर। बहुचर्चित कस्टम मिलिंग स्कैम मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के खिलाफ 1,500 पन्नों का चालान सोमवार को माननीय विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), रायपुर में पेश किया है।
यह चालान अपराध क्रमांक 01/2024 के तहत भा.द.वि. की धारा 120बी, 384, 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 11, 13(1)(क), 13(2) के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया। दोनों आरोपी वर्तमान में केन्द्रीय जेल रायपुर में निरुद्ध हैं।
ईओडब्ल्यू के अनुसार, अनिल टुटेजा ने छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर शुरुआत से ही एक अपराधिक षड्यंत्र रचा और राइस मिलरों से अवैध वसूली की। इस वसूली से उन्हें लगभग 20 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ प्राप्त हुआ।
सूत्रों के अनुसार, मिलर्स से जबरन धन उगाही के लिए मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता था, ताकि राइस मिलरों के बिल लंबित रखे जा सकें। इससे मजबूर होकर मिलर्स 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अवैध भुगतान करते थे।
दूसरे आरोपी अनवर ढेबर वर्ष 2022-23 के दौरान राजनीतिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति थे। आयकर विभाग की छापेमारी में प्राप्त डिजिटल साक्ष्यों से पता चला है कि ढेबर का न केवल शराब घोटाले बल्कि PWD और वन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव था।
ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी सामने आया कि कस्टम मिलिंग स्कैम से वसूले गए धन का संग्रहण, व्यय, निवेश और उपभोग अनवर ढेबर द्वारा किया गया।
इससे पहले फरवरी 2025 में ईओडब्ल्यू ने इस मामले में रोशन चन्द्राकर और मनोज सोनी के खिलाफ पहला चालान पेश किया था।
वहीं, रामगोपाल अग्रवाल एवं अन्य आरोपियों के विरुद्ध विवेचना अब भी जारी है।
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि यह घोटाला राज्य में प्रशासनिक एवं राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार की बड़ी कड़ी को उजागर करता है।
