बिलासपुर में हिंदुस्तानी सेवा समाज का 75वां अमृत उत्सव – रामलीला मंचन के साथ जीवंत हुई भारतीय संस्कृति, आरती में शामिल हुए रामा राव

बिलासपुर। हिंदुस्तानी सेवा समाज द्वारा आयोजित श्री रामलीला एवं दशहरा उत्सव समिति इस वर्ष अपने 75वें अमृत उत्सव का भव्य आयोजन कर रही है। विगत 75 वर्षों से निरंतर रामलीला का मंचन करते हुए यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का कार्य कर रहा है।

रेलवे क्षेत्र, तोरवा थाने के बगल में स्थित रामलीला भवन में प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी 11 दिवसीय रामलीला का मंचन 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक हो रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को रंगमंच पर सजीव रूप देने के लिए जय श्री बालाजी रामलीला मंच, रानिया (कानपुर, उत्तर प्रदेश) की मंडली आमंत्रित की गई है। महंत श्री राजकुमार शर्मा के नेतृत्व में कुल 18 कलाकार इस मंचन में भाग ले रहे हैं।

इस वर्ष रामलीला के प्रमुख प्रसंगों में नारद मोह, रावण दिग्विजय एवं श्री राम जन्म लीला शामिल हैं, जिन्हें दर्शकों ने बड़े उत्साह और भक्ति भाव से देखा। मंचन के दौरान पूरे परिसर में भक्तिमय वातावरण बन गया।

समारोह में विशेष अतिथि के रूप में वी. रामा राव, पूर्व पार्षद एवं कोरबा विधानसभा प्रभारी उपस्थित रहे और उन्होंने आरती में भाग लिया। आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष हिम्मत सिंह भदौरिया, सचिव आर.के. मिश्रा, संयुक्त सचिव नवीन कुमार, कैलाश चंद, पी.के. नागेश, पी.के. यादव, एम.के. झा, स्वरूप और हर्षवर्धन प्रसाद सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।

कार्यक्रम में नगर के कोने-कोने से श्रद्धालु और रामलीला प्रेमी भारी संख्या में पहुंचे। मंचन के दौरान दर्शकों ने न केवल मनोरंजन का अनुभव किया बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्श जीवन के संदेश भी आत्मसात किए।

75 वर्षों से निरंतर चल रही यह रामलीला अब अमृत उत्सव के रूप में बिलासपुर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बन चुकी है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय परंपराओं को संजोने और आगे बढ़ाने का प्रेरणास्रोत भी बन रहा है।

आयोजन के पहले दिन दर्शक जुटाने के उद्देश्य के साथ रामलीला मंचन से पहले फूहड़ गीत और नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही थी, जिसकी जानकारी होने पर हिंदूवादी संगठन से जुड़े ठाकुर राम सिंह, सचिन द्विवेदी आदि मौके पर पहुंचे और उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए आयोजन समिति से निवेदन किया कि वे ऐसी गलत परंपरा कायम न करें, जिस पर हिंदुस्तानी सेवा समाज ने भी सहमति जताते हुए भविष्य में यह भूल नहीं दोहराने की बात कही।

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