

बिलासपुर। इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन नहीं बल्कि पूरे 10 दिन तक मनाई जाएगी। 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक मंदिरों और पंडालों में धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार नवरात्रि में तृतीया तिथि दो दिन (24 और 25 सितंबर) रहने से नवरात्रि का पर्व 10 दिन का होगा। मान्यता है कि नवरात्रि की तिथि बढ़ना शुभ माना जाता है, इससे सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
22 सितंबर को घटस्थापना, 1 अक्टूबर को महानवमी, 2 अक्टूबर को दशहरा
22 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होगी और यहीं से नवरात्रि का शुभारंभ होगा। 1 अक्टूबर को महानवमी और 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। आचार्य दिनेश के अनुसार 24 सितंबर को आश्विन शुक्ल तृतीया तिथि सुबह 7:07 बजे तक रहेगी, इस वजह से 24 और 25 दोनों दिन तृतीया मानी जाएगी। इसके बाद 26 सितंबर को चतुर्थी तिथि के साथ नवरात्रि का चौथा दिन मनाया जाएगा।
इससे पहले वर्ष 2006 में दशहरा 2 अक्टूबर को और वर्ष 2016 में नवरात्रि 1 से 10 अक्टूबर तक दस दिनों तक मनाए गए थे। उस समय दशहरा 11 अक्टूबर को पड़ा था।
श्राद्ध की तिथि घटी, नवरात्रि की तिथि बढ़ी

इस साल श्राद्ध पक्ष की एक तिथि घटने से श्राद्ध 15 दिन का हो गया है, वहीं नवरात्रि की एक तिथि बढ़ने से यह 10 दिन की होगी। इसे ज्योतिष में शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।
इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी
ज्योतिषीय गणना के अनुसार देवी का वाहन वार के आधार पर तय होता है। रविवार या सोमवार को आगमन होने पर माता हाथी पर सवार होती हैं। शनिवार और मंगलवार को अश्व पर, गुरुवार और शुक्रवार को डोली पर तथा बुधवार को नौका पर सवारी होती है। इस बार मां दुर्गा का आगमन सोमवार को हो रहा है, इसलिए वे हाथी पर सवार होकर आएंगी। हाथी पर आगमन समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
22 सितंबर को सूर्योदय सुबह 6:19 बजे होगा। द्विस्वभाव कन्या लग्न सुबह 8:11 बजे तक रहेगा, जिसे घटस्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना गया है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:56 से 12:44 बजे तक और चौघड़िया मुहूर्त सुबह 9:19 से 10:49 बजे तक भी घटस्थापना की जा सकती है।
अधिकमास के कारण त्योहार 11 दिन पहले
वर्ष 2023 में अधिकमास के कारण त्योहार देर से पड़े थे, लेकिन 2025 में अधिकमास नहीं होने से इस बार सारे त्योहार 11 दिन पहले मनाए जाएंगे। नवरात्रि से लेकर दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा तक के सभी पर्व इसी कारण समय से पहले पड़ रहे हैं।
शहर में मंदिरों और समितियों की तैयारी
नवरात्रि को लेकर शहरभर के मंदिरों में साफ-सफाई, रंगाई-पुताई और ज्योतिकलश की बुकिंग शुरू हो चुकी है। तिफरा काली मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में सजावट का काम चल रहा है। वहीं विभिन्न समितियों द्वारा आकर्षक पंडाल बनाए जा रहे हैं।
बंगाली समाज की विशेष पूजा
शहर में बंगाली समाज भी नवरात्रि को विशेष रूप से मनाता है। बंगाली परंपरा के अनुसार पंचमी-षष्ठी के दिन पंडालों की साज-सज्जा पूरी की जाएगी। महालया पूजन से अनुष्ठानों की शुरुआत होगी। नवमी के दिन सिंदूर खेला करते हुए मां को विदाई दी जाएगी।
खरीदारी के लिए शुभ दिन
नवरात्रि में कई तिथियां खरीदारी के लिए शुभ मानी जा रही हैं। 22 सितंबर को बैठकी नवरात्रि, 25 को विनायकी चतुर्थी, 30 को दुर्गा अष्टमी और 1 अक्टूबर को दुर्गा नवमी विशेष शुभ तिथियां हैं। इन दिनों भूमि, भवन, वाहन, ज्वेलरी और इलेक्ट्रॉनिक्स की खरीदारी मंगलकारी मानी गई है। 2 अक्टूबर को विजया दशमी भी विशेष महत्व की तिथि रहेगी।
