


बिलासपुर।
देशभर में वर्षों से लंबित न्यायिक मामलों के शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान की दिशा में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने एक ऐतिहासिक पहल की है। 1 जुलाई से “मीडिएशन फॉर द नेशन” शीर्षक से 90 दिवसीय विशेष मध्यस्थता अभियान की शुरुआत की जा रही है। इस अभियान को सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) और नालसा के संयुक्त निर्देशन में चलाया जाएगा।
इस विशेष अभियान के अंतर्गत देश के प्रत्येक तालुका, जिला एवं उच्च न्यायालय में वैवाहिक विवाद, सड़क दुर्घटना दावा, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, उपभोक्ता विवाद, वाणिज्यिक मामले, सेवा संबंधी विवाद, राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण, ऋण वसूली, बेदखली, संपत्ति का विभाजन और भूमि अधिग्रहण जैसे मामलों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाएगा।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर ने सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति को निर्देशित किया है कि वे अधिकतम प्रकरणों की पहचान कर संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता हेतु सूचित करें। उद्देश्य यह है कि आपसी सहमति से विवादों का समाधान हो और न्यायिक प्रक्रिया में देरी कम की जा सके।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक एवं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेश सिन्हा ने अभियान को लेकर कहा कि “न्याय केवल निर्णय देना नहीं है, बल्कि समय पर समाधान प्रदान करना भी न्याय का महत्वपूर्ण पक्ष है।” वहीं, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस संजय के अग्रवाल के मार्गदर्शन में अभियान की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
इस अभियान के समापन के पश्चात 6 अक्टूबर को संपूर्ण रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को प्रेषित की जाएगी, जिसमें मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाए गए प्रकरणों की संख्या और परिणामों का विस्तृत विवरण रहेगा।
यह अभियान न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सरल, त्वरित और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि जनता को कम समय में न्याय मिल सके और अदालतों का भार भी कम हो।