मासूम की मौत के बाद भी इंसानियत शर्मसार: इलाज के बहाने शव ले गया, 19 घंटे तक कार में रखा, आरोपी बुजुर्ग गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक पांच वर्षीय मासूम बच्ची की कार से कुचलकर मौत हो गई। इससे भी अधिक हैरान करने वाला पहलू यह है कि आरोपी बुजुर्ग कार चालक बच्ची को इलाज के बहाने अपने साथ ले गया, लेकिन अस्पताल ले जाने की बजाय शव को 19 घंटे तक अपनी कार में रखे रहा। पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी को हिरासत में ले लिया।

यह घटना बलौदा थाना क्षेत्र के ग्राम बछौद की है। मृतक बच्ची पूनम पटेल (5) मूलतः सीपत क्षेत्र के बेलटुकरी गांव की निवासी थी और छुट्टियों में अपनी नानी के घर बछौद आई हुई थी। गुरुवार की शाम लगभग 5 बजे वह अपनी सहेलियों के साथ सड़क किनारे खेल रही थी, तभी एक तेज रफ्तार कार (क्रमांक CG 12 BN 5113) ने उसे टक्कर मार दी। दुर्घटना में बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई।

आरोपी

कार चला रहे 70 वर्षीय देवेंद्र प्रसाद वर्मा, जो कि कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर का निवासी और एसईसीएल का रिटायर्ड कर्मचारी है, ने मौके पर ही बच्ची को उठाकर अपनी कार की पिछली सीट पर लिटा दिया। अपनी पत्नी के साथ मिलकर बच्चों को यह कहकर भ्रमित किया कि वह पूनम को इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहा है। लेकिन अस्पताल की बजाय वह सीधे अपने घर कोरबा पहुंचा और वहां रातभर बच्ची के शव को कार में ही रखा।

शुक्रवार की सुबह जब वह शव को ठिकाने लगाने की नीयत से कार में लेकर निकला, तभी हरदीबाजार के पास बलौदा पुलिस ने चेकिंग के दौरान कार को रोका। पुलिस को कार चालक की संदिग्ध हरकतों पर शक हुआ। कार की तलाशी ली गई तो पीछे की सीट पर चादर में लिपटी हुई बच्ची की लाश बरामद हुई। आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया।

बच्ची के परिजन पूनम के देर शाम तक घर न लौटने पर उसकी तलाश में जुटे थे। जब कोई सुराग नहीं मिला तो उन्होंने बलौदा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने अपहरण की आशंका के चलते नाकेबंदी करवाई और इसी दौरान आरोपी को दबोचा गया।

घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई। शुक्रवार की शाम बेलटुकरी गांव में बच्ची का अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों ने आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है।

फॉरेंसिक टीम ने आरोपी की कार की जांच की है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि दुर्घटना के बाद बच्ची की मौत कब और किन परिस्थितियों में हुई।

यह मामला न सिर्फ एक सड़क हादसे की भयावहता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर एक बुजुर्ग व्यक्ति ने दुर्घटना के बाद मानवीय संवेदनाएं क्यों नहीं दिखाई? क्या यह सिर्फ हादसा था या इसके पीछे कोई और नीयत छिपी थी – पुलिस इन सभी पहलुओं की गहनता से जांच कर रही है।

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