


साहित्य के उपासक समूह में दिनांक 10.06.2025 को आभासीय माध्यम से साहित्यिक संध्या आयोजित की गयी. साहित्यिक संध्या का आरम्भ जबलपुर की रचनाकार अर्चना द्विवेदी ‘गुदालू’ द्वारा गणेश वंदना एवं उज्जैन के प्रशांत माहेश्वरी द्वारा सरस्वती वंदना की मनोरम प्रस्तुतियों से हुआ. गोष्ठी में इंदौर की जानीमानी कवियित्री सोनम उपाध्याय ने अपनी कविता ‘जहां हर फूल महकता हो ऐसा चमन’ से सभी को प्रभावित किया. नयी दिल्ली की निशि अरोड़ा ने भगवान् कृष्ण को समर्पित रचना प्रस्तुत कर आयोजन में भक्तिरस घोल दिया. अर्चना द्विवेदी ‘गुदालू’ जी की प्रस्तुति ‘ऋतु अनुकूल चाय बनती है’ भी मनोहरी रही. सिवनी की कविता नेमा की प्रस्तुति ‘सभी को यहाँ लिखना बड़ी सुंदर कहानी है’भी आकर्षण का केन्द्र रही. रायबरेली की नवोदित कवियित्री सुश्री गरिमा सिंह की कविता ‘कोमल सी सताई हुई वैतरिणी’ भी अत्यंत प्रभावी रही. झाँसी के श्री प्रमोद कुमार अग्रवाल नें अपनी प्रस्तुति के माध्यम से सैनिकों के शौर्य को वंदन किया. कानपुर की मधु प्रधान नें अपनी कविता ‘मुझको अपना छोटा कस्बा बहुत याद आता है से कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी. उज्जैन के प्रशांत माहेश्वरी ने अपनी कविता ‘हे मेघोँ की रानी’ के माध्यम से उत्तम वर्षा की कामना की. लखनऊ की ऋचा उपाध्याय नें ‘नीम की मोटी डाली पर जब पड़ता झूला’ प्रस्तुत कर कार्यक्रम सावन की छटा बिखेर दी. रायबरेली की गीता पाण्डेय, और संगरूर की रजनी शर्मा की प्रस्तुतियाँ भी उत्तम रही. संचालन मंच के संस्थापक प्रशांत माहेश्वरी द्वारा किया गया. अंत में प्रशांत माहेश्वरी के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सह आनन्द सम्पन्न हुआ.