

आकाश मिश्रा

मुंगेली : शैव परंपरा के भक्ति व साधना के प्रतीक भगवान मनकेश्वर महादेव जी जहां विराजते हैं ऐसे पुण्य तीर्थ स्थल मुंगेली नगर में विश्वप्रसिद्ध शिव महापुराण कथा वाचक श्री गिरि बापू जी के मुखारबिंद से इन दिनों प्राणी मात्र को फल देने वाला शिव कथा वाचन हो रहा है।
शनिवार को कथा के पांचवें दिवस कथा अंतर्गत बापू ने शिव जी के लिंग स्वरूप की महात्म्य की कथा कही।
कथा अंतर्गत उन्होंने कहा कि शिव महापुराण कथा सुनने मात्र से जगत के सभी जीवों का कल्याण हो जाता है,शिव जी सभी के ताप संताप को हरने वाले हैं।
उन्होंने कथा अंतर्गत कहा कि मानव मात्र को समय का इंतजार नहीं करना चाहिए जब भी समय मिले दौड़ कर शिव जी की सेवा ध्यान और पूजन कर लेनी चाहिए पता नहीं कब श्वांस रूक जाए,सात दिवस नहीं, प्रातः संध्या नहीं,श्वांस लेने क्षण नहीं बल्कि पलक झपकने समय ही शिव जी का ध्यान कर लेना चाहिए।
बापू जी ने कथांतर्गत कहा कि हम भारतीय सनातनी को गैर सनातनियों द्वारा मुर्ति पूजक कहा जाता है, परंतु हम मुर्तिपूजक नहीं है, बल्कि हम मुर्तियां, मंदिरों में शास्त्रोक्त विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठित करने के बाद,मुर्ति पूजन करते हैं। मुख्य यजमान और आयोजक मिथिलेश केशरवानी, दीनानाथ केशरवानी, आनंद केशरवानी, नवीन केशरवानी नें जानकारी देते हुए बताया की 11 जुलाई तक चलने वाले इस आयोजन में भक्तगण की अपार भीड़ आ रही है
पूज्य गिरी बापू नें सभी देवी-देवताओं की केवल मुर्ति पूजन किया जाता है परंतु शिव महापुराण में स्वयं ब्रह्मा ने नारद को कहा कि शिव जी की आकार स्वरूप अर्थात मुर्ति पूजन व निराकार स्वरूप में आकाश व पृथ्वी तत्व के ही स्वरूप लिंग स्वरूप की पूजा करते हैं।

लिंग स्वरूप का प्रथम पूजन स्वयं ब्रह्मा व विष्णु ने भावपूर्वक किया था।
लिंग स्वरूप की पूजा के लिए अनेक विधान है परंतु भक्त अपने सामर्थ्य अनुसार विधि चुनें और किसी शिवभक्त में कोई सामर्थ्य न हो तो वे सिर्फ समर्पित भाव से ही मानसिक पूजन कर लेवें तो भी शिव जी अपने भक्तों को राजोपचार विधि के बराबर फल देने वाले हैं।शिवलिंग स्वरूप की पूजा करते समय पूजा के नियमों और परंपराओं को ध्यान रखना चाहिए। जब जीवन में कोई संताप आ जाए तो, डाक्टर बैद्य परिवार समाज कहीं न जाए सिर्फ शिवालय जाएं व भोलेनाथ के लिंग स्वरूप के आगे मौन होकर भावपूर्वक मन ही मन ओंकार का जाप करें भोलेनाथ संताप को हरने वाले हैं।
हमें अपने दिनचर्या में भी प्रातः काल में ओंकार का नाद करना चाहिए इससे जीवन में आरोग्य आता है और पेट तथा हृदय संबंधी विकार हमेशा दूर रहते हैं।
कथा के पांचवें दिवस कथा सुनने वालों की संख्या अपार श्रद्धा से भरी रही है,पूरे पांडाल में जहां तहां शिवभक्त बड़े लगन से कथा श्रवण करते आनंदित नजर आए।