वर्चुअल काव्य संध्या का आयोजन

साहित्य के उपासक समूह में दिनांक 12-अप्रैल 2025 को आभासीय काव्य संध्या आयोजित की गयी. गोष्ठी का आरम्भ जबलपुर की अर्चना द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना से हुआ. तादोपरान्त इन्दौर की सुश्री दिव्या भट्ट द्वारा सरस्वती वंदना एवं लखनऊ की आदरणीया मधु पाठक द्वारा स्वागत गीत की मधुर प्रस्तुति दी गयी.

गोष्ठी में सर्वाप्रथम रायबरेली की गरिमा सिंह नें अपनी रचना ‘बिन तुम्हारे प्रेम का संगम अधूरा है’ प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया. बंगलौर की ऋचा उपाध्याय ने अपनी रचना ‘माँ को खूब घुमाया’ द्वारा सभी को भावविभोर कर दिया. इन्दौर की सुश्री दिव्या भट्ट नें ‘वीर शांतिदूत हनुमान’ भजन के माध्यम से हनुमान जी को वंदन किया. जबलपुर की कवियित्री अर्चना द्विवेदी ने मनहरण घनाक्षरी ‘हनुमत, भजन’ प्रस्तुत कर हनुमान जी की आराधना की. इन्दौर की अर्चना पंडित जी नें अपनी हास्य कृति ‘मैं नहीं कढ़ी चाटयो’ से सभी को लोटपोट कर दिया.

लखनऊ की डॉ. मधु पाठक ‘मांझी’ नें अपनी रचना ‘ मैं नारी हूँ.’ द्वारा महिला सशक्तिकरण पर बल दिया. उज्जैन के प्रशांत माहेश्वरी नें अपनी कविता ‘हे! सृजन सहधार्मिणी’ द्वारा एक साहित्यकार के जीवन में कलम के महत्व को व्यक्त किया. कविता नेमा (सिवनी) द्वारा प्रस्तुत रामभक्ति पर आधारित हरिगीतिका छंद एवं रजनी शर्मा जी द्वारा रचित छंद हम समझ बैठे जिन्हें अपना भी आकर्षण का केन्द्र रहे. अखिल भारतीय साहित्य परिषद् (लखनऊ महानगर) इकाई के अध्यक्ष आदरणीय श्री निर्भय नारायण गुप्त ने ‘हम गाथा बजरंगबली की गायेंगे’ नामक रचना की अनुपम प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया. वीणा चौबे (हरदा) की भी रचना सराहनीय रही. उज्जैन की गीतांजलि मिश्रा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं. कार्यक्रम का संचालन प्रशांत माहेश्वरी ने किया. अंत में प्रशांत माहेश्वरी के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सहर्ष सम्पन्न हुआ.

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