रायपुर में करोड़ों के वाटर एटीएम बने शोपीस, तीन साल से प्यासे खड़े एटीएम, अधिकारी बोले— “सर्वे करा रहे हैं”

रायपुर की भीषण गर्मी में जब हर बूंद पानी कीमती हो चुकी है, तब नगर निगम के करोड़ों के वाटर एटीएम खुद ही पानी को तरस रहे हैं! राजधानी में 2018 में लगाए गए 20 वाटर एटीएम अब शोपीस बनकर खड़े हैं, क्योंकि अधिकारी टेंडर की गड़बड़ियों में उलझे हैं।

पानी तो नहीं, पर राजनीति जरूर बह रही है!

शहर के अलग-अलग वार्डों में लगाए गए ये वाटर एटीएम वहां लगाए गए थे, जहां जलजनित बीमारियां आम थीं। लेकिन मेंटेनेंस की रकम रोके जाने से ये सभी बंद हो गए। खास बात ये है कि प्रदेश के 10 अन्य नगर निगमों में ठेकेदार को भुगतान मिल रहा है, लेकिन रायपुर में उसे ठेंगा दिखा दिया गया!

6 साल का टेंडर, 3 महीने में पेमेंट, फिर भी ठप!

2018 में 6 साल के लिए ठेका हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने कहा कि रेट सालाना तय किए गए थे।

ठेकेदार को 20.50 लाख रुपये की राशि जारी तो हुई, लेकिन भुगतान नहीं किया गया।

नाराज ठेकेदार ने एटीएम की चाबियां निगम को सौंप दीं!

इसके बाद एक अन्य ठेकेदार को ठेका देकर तीन महीने में 8 लाख रुपये दे दिए गए!

कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं?

नगर निगम के अधिकारियों की इस लापरवाही ने सवाल खड़े कर दिए हैं!

जब अन्य शहरों में ठेकेदार को भुगतान मिल रहा है, तो रायपुर में क्यों रोका गया?

टेंडर की शर्तें पहले से तय थीं, तो अब नया सर्वे क्यों कराया जा रहा है?

क्या किसी खास ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए भुगतान रोका गया?

अधिकारियों का टालमटोल जवाब!

जब इस मामले पर प्रभारी अधिकारी कृष्णादेवी खटीक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा—
“छह साल के लिए टेंडर हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने बीच में काम छोड़ दिया। अब फिर से सर्वे कराया जा रहा है।”

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