निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज का श्री पीताम्बरा पीठ में हुआ आगमन

त्रिदेव मंदिर, सरकंडा, बिलासपुर – दिव्य आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत श्री पीताम्बरा पीठ में आज एक विशेष आध्यात्मिक क्षण उपस्थित हुआ जब निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज पधारे। प्रयागराज महाकुंभ के अमृत स्नान के पश्चात वे श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव, श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी और श्री परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के दर्शन हेतु इस पावन धाम में पहुंचे। दर्शन और पूजन के उपरांत वे राजिम कुंभ के लिए प्रस्थान कर गए।

स्वामी विशोकानंद भारती जी के दिव्य विचार

स्वामी जी महाराज ने इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि देवी को “माया” कहकर निंदा करने से आध्यात्मिक पतन होता है, जबकि “माँ” के रूप में पूजन करने से लोक और परलोक दोनों में सुख, समृद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो संसार मनुष्य के पास है, वह भी देवी माँ की ही कृपा का परिणाम है, किंतु संसार तभी अनुकूल बनता है जब व्यक्ति धर्मात्मा एवं माँ का भक्त होता है।

उन्होंने धर्मशास्त्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि कलियुग में विशेष रूप से चण्डी माँ और विनायक भगवान की आराधना से जीवन में अनुकूलता आती है। शास्त्रों में कहा गया है— “कलौं चण्डी विनायकौ”, अर्थात कलियुग में देवी चण्डी और भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायी होती है।

स्वामी जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जो लोग भगवान की उपासना छोड़कर केवल माया की ओर आकर्षित होते हैं, उनका अंत रावण की तरह ही होता है। भले ही वे भौतिक संपत्ति, संतान और सम्मान प्राप्त कर लें, किंतु अंततः वे आध्यात्मिक रूप से दरिद्र हो जाते हैं और मोक्ष से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि इस संसार की माया को “माँ” की कृपा से पूजनीय और दर्शनीय बनाना चाहिए, तभी सच्चे सुख और मोक्ष की प्राप्ति संभव है।

श्रद्धालुओं में उत्साह और आध्यात्मिक जागरण

स्वामी जी के आगमन से मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। उनके प्रवचनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठा।

त्रिदेव मंदिर, सरकंडा के महंत एवं अन्य पुजारियों ने स्वामी जी का भव्य स्वागत किया और उन्हें मंदिर के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व से अवगत कराया। स्वामी जी ने मंदिर की दिव्यता की सराहना करते हुए यहाँ के आध्यात्मिक वातावरण को अत्यंत प्रभावशाली बताया।

राजिम कुंभ के लिए प्रस्थान

श्री पीताम्बरा पीठ में पूजन-अर्चन एवं दर्शन के पश्चात स्वामी विशोकानंद भारती जी महाराज अपने आध्यात्मिक अभियान के अगले पड़ाव राजिम कुंभ के लिए रवाना हुए। उनके दर्शन और प्रवचनों से भक्तों को अनमोल आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हुआ, जिससे उनका जीवन प्रेरित एवं प्रकाशमय हुआ।

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