

दो मुहानी क्षेत्र के दो किसानों ने धान खरीदी में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है, जिनसे धान खरीदी के बाद भी ऑपरेटर द्वारा उसे ऑनलाइन नहीं चढ़ाया गया और अब उनके द्वारा धान बेचे जाने के दावे को ही खारिज किया जा रहा है। इस मामले में कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की गई है।
सरकार किसानों का एक-एक दाना खरीदने और तत्काल भुगतान का दावा कर रही है। इसी दावे को खारिज करते हुए एक गंभीर शिकायत कलेक्टर से की गई है। दो मुहानी बिलासपुर निवासी सुनील कुमार का आरोप है कि उसने सेवा सहकारी समिति महमंद उपार्जन केंद्र में अपनी दादी स्वर्गीय कपूरा बाई के नाम से पंजीयन किया था। जिसका किसान कोड क्रमांक TF 400 1470100656 है। सुमित का नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज है। सुमित ने 24 दिसंबर को धान बेचने के लिए टोकन कटवाया। सुमित का कहना है कि टोकन क्रमांक टी के 401470124250273 के अनुसार 26 दिसंबर को उसने निर्धारित समय पर कुल 119.201 क्विंटल धान बेचा जिसका धान खरीदी पावती भी उसे दिया गया। जिसका नंबर आरपी 400 1470 12425 0364 है लेकिन जब उसने अपने मोबाइल एप टोकन तुहर हाथ में सुबह चेक किया तो उसमें उसके द्वारा धान बेचने का कोई जिक्र नहीं था। जब उसने ऑपरेटर से संपर्क किया तो उसने बोला कि सर्वर में दिक्कत है इसलिए दर्ज नहीं हुआ है। ऑपरेटर ने कहा कि मैं दूसरा टोकन काट देता हूं किसी को मत बताना ।उस दिन में धान चढ़ा दूंगा ऐसा कहकर 3 जनवरी को दूसरा टोकन काट दिया गया ।जिसका टोकन क्रमांक TK 44014701242506566 है। सुनीत को भरोसा दिलाया गया कि इस तरह से उसका धान ऑनलाइन चढ़ जाएगा लेकिन फिर समिति प्रबंधक और हमाल ने 21 जनवरी को उसका टोकन निरस्त कर दिया गया है और उसके द्वारा कोई धान नहीं बेचा गया है, कहकर उसे भगा दिया गया। इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि 26 दिसंबर को स्वयं पटवारी ने उनके घर जाकर खेत का मुआयना कर पंचनामा बनाया था और धान बेचने की पुष्टि की थी । मंडी समिति द्वारा अब उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करते हुए झूठा आरोप लगाया जा रहा है कि उसने धान की बिक्री ही नहीं की है। इसे लेकर पीड़ित पक्ष ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है।

इस मामले में सुमित कुमार ने दावा किया कि वह सच कह रहे हैं लेकिन पूरा सिस्टम उनके खिलाफ है। इसलिए उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। प्रार्थी ने कृषि विभाग से लेकर एसपी और अन्य को भी इसकी शिकायत की है।
इसी तरह की मिलती-जुलती शिकायत ग्राम दो मुहानी के ही प्रभात टंडन ने भी की है, जिनका कहना है कि उपार्जन केंद्र महमंद में धान खरीदी के बाद भी उनके खाते में पैसा नहीं आया और उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने भी धान नहीं बेचा है। अपने नाना के नाम दर्ज पंजीयन के आधार पर नॉमिनी होने की वजह से उन्होंने टोकन कटवा कर 92 क्विंटल धान बेचा लेकिन उन्हें भी पहले तो टरकाया गया और फिर बाद में साफ कह दिया गया कि उन्होंने केवल 48 क्विंटल ही धान बेचा है। 44 क्विंटल धान को ऑनलाइन रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया। आरोप है की मंडी प्रबंधक , हमाल, ऑपरेटर सब मिलजुलकर इसी तरह से किसानों को चूना लगा रहे हैं।
यह आरोप बेहद गंभीर है ।अगर सच में खरीदी केंद्रों में तैनात अधिकारी इस तरह की हरकत कर रहे हैं तो इसका नुकसान जहां किसानों को होगा तो वही सरकार पर भी सवालिया निशान लगेंगे। इससे पहले भी गतौरा में धान खरीदी के लिए रिश्वत लेने का मामला सामने आ चुका है, इसलिए इन मामलों में भी त्वरित कार्यवाही की आवश्यकता है।