यूनुस मेमन

चिल्हाटी में प्रभारी प्राचार्य की हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है, साथ ही आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। अपनी पहचान छुपाने के लिए आरोपी ने अपने बाल मुंडवा लिए थे । शादीशुदा और बच्चों का पिता प्रभारी प्राचार्य मनोज चंद्राकर दुश्चरित्र निकाला। मृतक मनोज चंद्राकर शासकीय हाई स्कूल डोंगरी बलौदा में प्रभारी प्राचार्य के पद पर पदस्थता पदस्थ था, जो 2 महीने पहले ही चिल्हाटी क्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड में मकान नंबर और 39 पर किराए से रहने आया था। 19 दिसंबर को मनोज चंद्राकर अपने परिवार के साथ अपने मूल निवास वीरगहिनी चला गया लेकिन 22 दिसंबर को ही वह बैंक में जरूरी काम होने का हवाला देकर अकेला घर लौट आया। उसे अंतिम बार 24 दिसंबर को पड़ोसियों ने देखा था। इस दौरान वह अपनी पत्नी का भी फोन रिसीव नहीं कर रहा था।

इधर उसके मकान से उठ रहे बदबू के बाद लोगों ने उसके परिजनों और पुलिस को सूचना दी तो मौके पर पहुंची पुलिस को कमरे में मनोज चंद्राकर की कुछ दिन पुरानी लाश मिली। पास ही में खून से सना हुआ एक तवा भी मिला। जांच के दौरान कमरे में शराब की बोतल और चिकन पका कर खाने के सबूत भी मिले। इससे समझ में आया कि मनोज चंद्राकर ने किसी के साथ पार्टी की है। पुलिस ने लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि 24 दिसंबर की साथ शाम मनोज चंद्राकर के पल्सर में कोई और भी व्यक्ति उसके साथ आया था, जिसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरा की जांच शुरू की तो मिले इनपुट के आधार पर उसने हरीश पैकरा की तलाश शुरू की। पता चला कि हरीश पैकरा अपने ठिकाने से गायब है। पुलिस ने उसे ढूंढना शुरू किया । इधर घटना को अंजाम देने के बाद हरीश पैकरा पुलिस से बचने के लिए महाराष्ट्र की ओर भाग रहा था जिसे पुलिस ने डोंगड़गड़ से पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपी 24 वर्षीय खम्हारडीह, लवन बलौदाबाजार निवासी हरीश कुमार पैकरा ने चौकाने वाला खुलासा किया है।

विवाहित और बाल बच्चेदार होने और शिक्षक जैसे प्रतिष्ठित पद पर होने के बावजूद मनोज चंद्राकर का चरित्र सही नहीं था। मनोज चंद्राकर की एक दिन पहले ही यानी 23 दिसंबर को रेलवे स्टेशन में हरीश से मुलाकात हुई थी और योजनाबद्ध तरीके से वह हरीश को अपना दोस्त कहते हुए घर ले आया। घर में दोनों ने पार्टी की। दोनों ने मिलकर चिकन पकाया और फिर शराब के साथ भोजन किया। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के मकान नंबर 39 में दोनों देर रात तक पार्टी करते रहे। इधर नशे में आते ही मनोज चंद्राकर की नियत डोलने लगी और उसने सारी हदें पार करते हुए जबरन अपने ही दोस्त हरीश पैकरा के साथ अप्राकृतिक कृत्य कर दिया। दोस्त बोल कर घर में पार्टी करने के नाम पर लाकर उसके साथ बलात्कार करने से आग बबूला हरीश पैकरा ने किचन में रोटी बनाने के लिए रखे तवे से मनोज चंद्राकर के सर पर प्राण घातक हमला किया , जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना को अंजाम देने के बाद हरीश पैकरा भाग खड़ा हुआ लेकिन वह पुलिस से नहीं बच पाया।

मनोज चंद्राकर की मृत्यु के बाद से परिजन और पड़ोसी से लेकर सभी उससे सहानुभूति जता रहे थे और हत्या की आशंका पर हत्यारे को पकड़ने की मांग कर रहे थे लेकिन सच्चाई उजागर होते ही सबके चेहरे सफेद पड़ गए है। इस हत्या के मामले में भले ही गुनहगार हरीश पैकरा हो लेकिन मनोज चंद्राकर का गुनाह भी काबिले माफी नहीं है।

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