

सोमवार को बिलासपुर में कोरबा जिले के दीपका,गेवरा और कुसमुंडा खदान के भू स्थापितो ने एसईसीएल मुख्यालय का घेराव कर अर्धनग्न प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । यह भू स्थापित जमीन के बदले नौकरी को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे है। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने पहले खदान एरिया में प्रदर्शन किया। इसके बाद भी एसईसीएल प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस कारण उन्हें मुख्यालय पहुंचकर इस ठंड में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करना पड़ा ।प्रदर्शनकारियों ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले ज्यादातर लोग चिरमिरी, गेवरा और कुसमुंडा की कोयला खदानो में काम कर रहे हैं । ऐसे लोगों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें नियम कानून को दरकिनार कर नौकरी दे दी गई है, तो वही सालों से अपनी जमीन देने वाले किसान और भू विस्थापितो को नौकरी देना तो दूर, उनकी समस्याओं पर भी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा। इसी वजह से मुख्यालय गेट के सामने जमीन पर बैठकर अर्धनग्न अवस्था में इन लोगों ने जमकर नारेबाजी की।

क्या कह रहा है प्रबंधन
इधर प्रबंधन का कहना है कि आंदोलन कर रहे लोगों को नौकरी देना नए नियमों के तहत संभव नहीं।
एसईसीएल प्रबंधन की ओर से जनसंपर्क अधिकारी ने इस पूरे आंदोलन को ही अनावश्यक और बेबुनियाद बताया। उनका दावा है कि आज से 40 वर्ष पूर्व हुए समझौते को वर्तमान में लागू करने की बात कही जा रही है जबकि इस बीच नियम बदल चुके हैं। उनका यह भी कहना है कि इस विषय पर लगातार हो रही बातचीत से भी समाधान नहीं निकल पा रहा है इसलिए अनावश्यक दबाव बनाने इस तरह का उग्र प्रदर्शन किया जा रहा है। दूसरी और आंदोलनकारी 1978 से 2004 के बीच हुए भूमि अधिग्रहण के दौरान पुनर्वास नीति के तहत रोजगार देने की मांग पर अड़े हुए हैं। वे पुराने नीति से मुआवजा और नई नीति से रोजगार की मांग कर रहे हैं। आंदोलनकारी सभी भू विस्थापित परिवारों के एक-एक सदस्यों को रोजगार देने की मांग पर कायम है, जिन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती हसि तो वे खदान बंद कराने पर विवश होंगे। कुल मिलाकर आंदोलनकारी और एसईसीएल प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति बरकरार है।

