पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में मनाया जा रहा शारदीय नवरात्र उत्सव, आचार्य ने बताया,किस देवी की पूजा से कौन सा चक्र जागृत होता है

सुभाष चौक सरकंडा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के तीसरे दिन प्रातःकालीन सर्वप्रथम देवाधिदेव महादेव का महारुद्राभिषेक पश्चात श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार चंद्रघंटा देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक एवं परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जा रहा है।

पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि नवरात्रि के 9 दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है प्रत्येक स्वरूप की पूजा का अपना एक विशेष महत्व है।देवी का प्रत्येक स्वरूप मानव शरीर में उपस्थित किसी न किसी चक्र को विशेष रूप से जागृत करता है।नवरात्रि में देवी के 9 स्वरूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कूष्मांडा, स्कंदमाता,कात्यायनी,कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री देवी है।

शैलपुत्री –
शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है। और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माँ शैलपुत्री की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है एवं बीमारियों से मुक्ति प्राप्त होती है।

ब्रह्मचारिणी –
ब्रह्मचारिणी स्वाधिष्ठान चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को नियंत्रित विचार और मन के शुद्धिकरण के लिए प्रेरित करता है। शैलपुत्री की आराधना व्यक्ति के अंदर साहस में बढ़ोत्तरी करती है।

चंद्रघंटा-
चंद्रघंटा मणिपुर चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को विचारों की शून्यता और संतोष की प्राप्ति तक पहुंचाता है। चंद्रघंटा की आराधना नेतृत्व क्षमता के विकास और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए करें।

कूष्मांडा-
यह देवी अनाहत चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को आत्मा से मिलन के लिए प्रेरित करता है। मां कूष्मांडा की आराधना से ईमानदारी बढ़ती है और अंदर मौजूद डर खत्म होता है।

स्कंदमाता-
यह देवी विशुद्ध चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव परमात्मा के एहसास के लिए प्रेरित करता है। इनकी आराधना व्यक्ति में आकर्षण की वृद्धि करती है।

कात्यायनी-
देवी कात्यायनी आज्ञा चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को अज्ञात भय से मुक्ति दिलाता है। इनकी आराधना से तनाव से मुक्ति और क्षमा भावना का विकास होता है।

कालरात्रि –
यह भानु चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव अहंकार से मुक्ति दिलाता है। साथ ही देवी की आराधना मानसिक प्रबलता बढ़ाती है।

महागौरी –
यह सोम चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को आत्मा की पवित्रता की तरफ बढ़ाता है। इनकी आराधना से आलस्य से मुक्ति और एकाग्र मस्तिष्क की प्राप्ति होती है।

सिद्धिदात्री –
यह सहस्रार चक्र का प्रतीक हैं। इनका आध्यात्मिक प्रभाव व्यक्ति को प्रकृति और जीवों में परमात्मा की छवि का एहसास कराता है। इनकी आराधना सफलता के साथ शांति की प्राप्ति कराता है।

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