कल से आरंभ हो रहा शारदीय नवरात्र पर्व , श्री पीतांबरा पीठ सरकंडा में भी की गई है भव्य तैयारी

छत्तीसगढ़ बिलासपुर सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में शारदीय नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्तूबर से हो रही है। इस दिन घटस्थापना के साथ नवरात्रि की शुरुआत होगी और 12 अक्तूबर को प्रातः 9:00 बजे विजयादशमी पर इसका समापन होगा।।नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11अक्टूबर को ही रखा जाएगा महाष्टमी पर संधि पूजा भी की जाएगी।नवरात्रि के दौरान माता रानी पृथ्वी लोक पर आती हैं, ऐसे में मातारानी हर साल अलग-अलग सवारी में आती हैं। दरअसल, माता के आगमन एवं प्रस्थान की सवारी वार अनुसार तय की जाती है।

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा

आगमन – 3 अक्तूबर 2024 को गुरुवार से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस दिन माता का आगमन जब पृथ्वी पर होता है, तो मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी। माता का आगमन पालकी या डोली में होगा अशुभ माना जाता है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, देश-दुनिया में महामारी, हिंसा के बढ़ने और अप्राकृतिक घटना के संकेत मिलते हैं।

प्रस्थान – नवरात्रि में माता रानी के प्रस्थान की सवारी चरणायुद्ध (मुर्गा) होगी, जिसे शुभ संकेत बिलकुल नहीं माना जाता है। माता के इस वाहन को अमंगलकारी माना गया है। ये शोक, कष्ट का संकेत है।

पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के प्रथम दिन प्रातःकालीन सर्वप्रथम देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक तत्पश्चात श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार शैलपुत्री देवी के रूप में किया जाएगा।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया जाएगा।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जाएगा।श्री मनोकामना घृत ज्योति 108 कलश अभिजीत मुहुर्त 11:30 से 12:30 मध्यान्ह मे प्रज्ज्वलित किया जाएगा।तत्पश्चात ध्वजारोहण,ज्वारोपणम् किया जाएगा।श्री दुर्गा सप्तशती पाठ एवं 6 जुलाई आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से लेकर आगामी 15 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक चलने वाले श्री पीतांबरा हवनात्मक महायज्ञ मे 36 लाख आहुतियाँ अर्पित की जाएगी।श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ 133 दिन चलेगा,जिसमें 87 दिन पूर्ण हो चुके हैं और 87 दिन में 18 लाख 27 हजार आहुतियां दी जा चुकी है।प्रतिदिन पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 1:00 तक निरंतर चलता है एवं रात्रि 1:00 में श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का महाआरती किया जाता है।

नवरात्रि के प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं।शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है और बीमारियों से मुक्ति प्राप्त होती है।

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