रास- गरबा ,डांडिया और नवरात्रि पर्व पर प्रशासनिक नियम कायदे को लेकर सर्व हिंदू समाज ने रखा अपना पक्ष, कलेक्टर और एसपी को दिया ज्ञापन

आकाश दत्त मिश्रा

धार्मिक आयोजनों में फूहड़ता और प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ सर्व हिंदू समाज ने अपना विरोध दर्ज कराया है। इस मामले में शुक्रवार को सर्व हिंदू समाज द्वारा कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर पांच सूत्रीय मांग से उन्हें अवगत कराया गया। आरोप है कि नियम कायदो के नाम पर हिंदू पर्वों को टारगेट किया जा रहा है। हाई कोर्ट के नियम पालन में सभी पर एक जैसी कार्रवाई की मांग की गई। सर्व हिंदू समाज द्वारा आगामी नवरात्र और इस अवसर पर आयोजित होने वाले रास गरबा को लेकर कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपा गया है , जिसमें उन्होंने अपनी मांग रखी है।

शुक्रवार को सर्व हिंदू समाज के बैनर तले लोग कलेक्टर और एसपी के पास पहुंचे और अपनी पांच सूत्रीय मांगो से कलेक्टर और एसपी को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि चेहरा देखकर तिलक लगाने की परंपरा बर्दाश्त नहीं की जाएगी ।अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गणेश विसर्जन, दुर्गा विसर्जन और दुर्गा पूजा में डीजे एवं तेज आवाज वाले ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध है तो फिर यह प्रतिबंध बिलासपुर में गरबा डांडिया, शादी विवाह , राजनीतिक कार्यक्रमों में भी लागू होना चाहिए । उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि विसर्जन के दौरान तो डीजे नहीं बजाया जाए लेकिन कुछ बड़े आयोजको द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में देर रात तक बेधड़क डीजे बजे । उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होने पर इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि नवरात्रि पर होने वाला रास गरबा एक धार्मिक आयोजन है , जिसमें महिलाएं और पुरुष देवी मां के प्रति अपने भक्ति का प्रदर्शन करते हैं। यह कोई मनोरंजक कार्यक्रम नहीं है कि हर कोई मुंह उठाकर देखने चले आए, जिनकी आस्था हिंदू धर्म पर नहीं है , वे केवल यहां बुरी नीयत से आते है ,इसलिए डांडिया, गरबा कार्यक्रम में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग सर्व हिंदू समाज द्वारा की गई है।
इस मौके पर अश्लील गाने और फूहड़ कलाकारों के कार्यक्रमि पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग सर्व हिंदू समाज ने की है, जिनका कहना है कि अक्सर गरबा के बहाने युवतियां भड़कीले कपड़े पहन कर आती है और फिर इस वजह से अप्रिय घटना घटती है।

विरोध दर्ज कराने वालों ने कहा कि नवरात्रि के पावन पर्व पर देवी मां को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले पारंपरिक नृत्य में अश्लील गानों , विधर्मी कलाकारों, फुहारता करने वाली युवतियों के लिए कोई स्थान नहीं है, इसलिए आयोजनों में प्रवेश के पूर्व आधार कार्ड की जांच करने की मांग की गई। साथ ही दुर्गा समितियां को भी यह निर्देशित करने की बात कही गई है कि वे विसर्जन में किसी भी प्रकार के फिल्मी गानों का प्रयोग ना करें। साथ ही कहा गया कि अगर डीजे और तेज आवाज पर प्रतिबंध है तो इसे पूरी तरह से लागू करें, ना कि आंशिक प्रतिबंध लगाकर खानापूर्ति की जाए। कलेक्टर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नियम अनुसार कार्यवाही की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि माननीय हाईकोर्ट के आदेश का किसी भी प्रकार से उल्लंघन ना हो।

सर्व हिंदू समाज का कहना है कि हिंदू समाज अपनी परंपराओं और आस्थाओं को लेकर गंभीर नहीं है, जिस वजह से उनकी भावनाएं लगातार आहत की जा रही है। नियम के नाम पर उन पर बेजा प्रतिबंध थोपे जा रहे हैं। उनके धार्मिक कार्यक्रम भी विधर्मियों के निशाने पर है, इसलिए अपनी परंपरा को बचाने के लिए सख्ती की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। इसे लेकर बड़ी संख्या में सर्व हिंदू समाज ने कलेक्टर और एसपी को अपना मांग पत्र सौंपा है । अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पर कार्यवाही किस हद तक होती है, क्योंकि आने वाले दिनों में बिलासपुर में कई बड़े रास गरबा के आयोजन होने हैं , जिनमे हर साल हाई वोल्टेज साउंड सिस्टम का इस्तेमाल होता है और देर रात तक आयोजन चलता है। अगर नियम का पालन किया जाए तो ऐसे कार्यक्रम संभव ही नहीं। इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि इस संबंध में प्रशासन और सर्व हिंदू समाज का क्या रवैया होता है । बिलासपुर में भी दो तरह के आयोजन होते हैं। अधिकांश आयोजनों में सी क्लास फिल्मी कलाकारों और गायको को बुलाकर भीड़ जुटाई जाती है, जहां भावना शून्य होती है, लेकिन पारंपरिक रास गरबा का अगर आयोजन देखना है तो आपको गुजराती समाज भवन जाना चाहिए, जहां आप भी शालीनता, विशुद्धता और भक्ति पूर्ण आयोजन देख सकते हैं। सर्व हिंदू समाज ने ऐसे ही आयोजनों को बढ़ावा देने की मांग की है।

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