मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम किरारी में 24 दिन की दूधमुही बच्ची अचानक गायब हो गई। मां ने दावा किया कि बेटी साथ में ही लेटी हुई थी। रात को जब वह उसे दूध पिलाने के लिए उठी तो देखा कि बच्ची गायब है। जबकि घर से बाहर जाने के सभी दरवाजे बंद थे। पुलिस को भी पूरा मामला हैरान करने वाला लगा, तो परिजन कहने लगे कि बच्ची को भूत ने गायब किया है। पुलिस बच्ची को तलाशी रही थी कि दो दिन बाद घर के पास के कुएं में उसकी लाश मिली। पुलिस को शुरू से ही संदेह था कि बच्ची की हत्या की गई है और उसके पीछे हो ना हो परिवार के ही सदस्यों का हाथ है। पुलिस का यह शक सही साबित हुआ, लेकिन सच्चाई जानकर पुलिस के भी पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि इस बार एक माता कुमाता हो गई थी।
आज भी भारत में बेटियों को अभिशाप मानने की घटिया मानसिकता जारी है। किरारी में रहने वाले करण गोयल और हसीना गोयल को पहले से ही दो बेटियां थी। 24 दिन पहले तीसरी बेटी ने जन्म लिया तो परिवार की सभी उम्मीदें धूमिल हो गई। दावा किया गया कि 30 जून की रात बच्ची अचानक गायब हो गई जबकि घर का मुख्य दरवाजा और छत पर जाने वाला दरवाजा भी भीतर से बंद था । पुलिस ने फॉरेंसिक टीम, डॉग स्क्वायड बुलाकर जांच की। यहां तक कि पास के तालाब में भी गोताखोरों के मदद से बच्ची को तलाशा गया। इसी दौरान बच्ची का शव पास के कुएं से मिला। उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे। पुलिस मामले की जांच कर ही रही थी कि आत्मग्लानि से जल रही हसीना गोयल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
हसीना ने बताया कि तीसरी बेटी पैदा होने से पूरा परिवार दुखी था । 30 जून की रात जब खाना खाकर सब सो गए तो हसीना गोयल ने चुपके से बच्ची को उठाया और घर के सामने मौजूद कुएं में उसे फेंक दिया।
कैसे हुआ खुलासा
पुलिस परिजनों के बयान से संतुष्ट नहीं थी, जिनका कहना था कि घर में प्रवेश और निकासी के दरवाजे बंद थे। कोई बाहर से आया भी नहीं और गया भी नहीं, फिर बच्ची कैसे गायब होगी हो गई। इस दौरान पुलिस ने एक-एक परिजन से पूछताछ की, इन सब ने इस तरह के किसी भी घटना को अंजाम देने से इनकार कर दिया, लेकिन पुलिस ने गौर किया कि बच्ची की मौत के बाद भी उसकी मां के चेहरे पर दुख या पछतावे का कोई भाव नहीं था, जिस कारण पुलिस का संदेह धीरे-धीरे उसे पर गहरा रहा था।
इधर बच्ची के अंतिम संस्कार होते ही हसीना गोयल टूट पड़ी और उसने खुद स्वीकार किया कि उसे उम्मीद थी कि उसको तीसरे संतान के रूप में लड़का ही होगा। जब तीसरी बार भी लड़की हुई तो उसे लगा कि इससे घर में उसका सम्मान कम हो जाएगा, इसलिए उसने अपनी ही कोखजाई बेटी को जिंदा कुएं में फेंक दिया। कहते हैं संतान भले ही कुसंतान निकल जाए लेकिन मा कभी भी कुमाता नहीं होती लेकिन इस बार हसीना गोयल जैसी महिला ने मां शब्द को भी कलंकित कर दिया, जिसने अपने ही हाथों अपनी दूधमुही बच्ची की सिर्फ इसलिए जान ले ली क्योंकि वह बेटी थी, जबकि वह खुद भी किसी की बेटी है । सरकार बार-बार समझा रही है कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है, फिर भी अनपढ़ और पिछड़ा समाज यह समझने को तैयार ही नहीं कि आज किसी भी क्षेत्र में बेटियां बेटों से काम नहीं है। लेकिन ना समझो को क्या समझाएं। पुलिस ने अपनी बेटी की हत्या के आरोप में 27 साल की हसीना गोयल को गिरफ्तार कर लिया है।