बिलासपुर और क्षेत्र के सबसे बड़े एवं सर्व सुविधायुक्त बच्चों के अस्पताल श्री शिशु भवन ने एक बार फिर से एक बालिका की जान बचाई है ।बिलासपुर के अशोक नगर सरकंडा में रहने वाली 11 वर्षीय छात्रा को श्री शिशु भवन ने दोबारा जीवन दान दिया है। दोबारा इसलिए क्योंकि यह बच्ची जन्म के समय केवल 600 ग्राम की थी और उसे बेहद गंभीर स्थिति में श्री शिशु भवन ही भर्ती किया गया था, जहां अथक परिश्रम के बाद उसे नई जिंदगी मिली थी।
सेंट जेवियर स्कूल में छठवीं कक्षा की छात्रा अपेक्षा सिन्हा अपने माता-पिता के साथ अपने गृह गांव मुंगेली पदमपुर गई थी। अपेक्षा की मां उर्मिला सिन्हा भी तखतपुर में स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी है। मुंगेली में 6 जून को विषैले कोबरा सांप ने अपेक्षा को डस लिया। घबराये माता-पिता उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए लेकिन बच्ची की बिगड़ते हालात को देखकर उसे बिलासपुर के श्री शिशु भवन लाया गया। अपेक्षा को डसने के बाद जहरीला कोबरा सोफा के नीचे छप गया था जिसे ग्रामीणों ने पड़कर जार में बंद कर लिया, जिससे जानकारी हुई कि अपेक्षा को किस सांप ने डसा है।
श्री शिशु भवन पहुंचते ही डॉक्टर श्रीकांत गिरी और उनकी टीम ने बिना एक पल गंवाए बच्ची का इलाज आरंभ किया। शल्य क्रिया कर जहर प्रभावित पैर से जहर के प्रभाव को खत्म किया गया वहीं वैनम और अन्य साधन से जहर के प्रभाव को धीरे-धीरे निष्प्रभाव किया गया। 6 दिन के इलाज के बाद अपेक्षा सिन्हा पूरी तरह से स्वस्थ होकर बुधवार को अपने घर लौट गयी। उसके पिता अनिरुद्ध सिन्हा और मां उर्मिला सिन्हा ने श्री शिशु भवन के चिकित्सकों का आभार जताते हुए कहा कि उनके ही अथक परिश्रम से उनकी बेटी को दूसरी बार नई जिंदगी मिली है।
इधर बरसात के आगमन के साथ ही शहरी और ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश की आशंका बढ़ रही है, ऐसे में शिशु को विशेषज्ञ डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने कहा कि किसी को भी सांप द्वारा डसे जाने के बाद घरेलू उपचार, झाड़फूंक, तंत्र-मंत्र की बजाय उसे तत्काल किसी अच्छे अस्पताल पहुंचाना चाहिए ताकि चिकित्सकीय इलाज से उसकी जान बचाई जा सके।