बिलासपुर बंगाली समाज ने संयुक्त रूप से मनाया कवि गुरु रविंद्र नाथ ठाकुर और विद्रोही कवि काजी नज़रुल इस्लाम की जयंती, सांस्कृतिक संध्या में दी गई मोहक प्रस्तुतियां

बिलासपुर बंगाली समाज, विनोबा नगर द्वारा रविन्द्र जयंती एवं नजरूल जयंती के उपलक्ष्य में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर एवं विद्रोही कवि काजी नजरूल ईस्लाम के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से डीके बोस, देवाशीष नंदी, नमिता घोष, गोपाल चंद्र मुंखर्जी तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।

इसके बाद रविन्द्र संगीत एवं नजरूल गीती “आकाश भरा सूर्य तारा’ तथा ‘रुमझूम-रुमझूम को समाज के सदस्यों मौसमी चक्रवर्ती,मोनिका घोष, मौमिता चक्रवर्ती, गायत्री धर,अनुराधा मुखर्जी, सीमा सेनगुप्ता, प्रमिला गुप्ता, अपराजिता चौधरी, प्रतिमा पाल, गोपा दासगुप्ता, शिवानी चक्रवर्ती, तृप्ती चटर्जी एवं तुहीन चटर्जी, सौरभ चक्रवती, डा सोमनाथ मुखर्जी, अंशुमान घोष, शुभ्रांगशु घोष, एवं देवाशीष नंदी द्वारा मिलकर गाया गया। तत्पश्चात् नमिता घोष, देवाशीष नंदी ने अपना वक्तव्य एवं गोपाल चंद्र मुखजी ने कविता पाठ किया।

नृत्य से तृप्ति चटर्जी, मौमिता चक्रवर्ती, गोपा दासगुप्ता, मेघा घोष, प्रतिमा पाल, नीलिमा घोष, सान्तोना दासगुप्ता, स्वागता सुर इत्यादि की प्रस्तुती ने सबका मन मोह लिया। सेक्सोफोन में डॉ० सुदिप्तो दत्तो ने उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में नृत्य गीत नाटिका मे कवि गुरु रविन्द्र नाथ ठाकुर एवं काजी नजरुल इस्लाम दोनों को एक मंच मे लाकर सत्य घटना पर आधारित काल्पनिक कथनो द्वारा उनके दुख दर्द को उकेरने की कोशिश में देवाशीष नंदी, डा सोमनाथ मुखर्जी एवं श्री विलास कुमार दास का अभिनय सराहनीय रहा।

कार्यक्रम को सफल बनाने मे डॉ० हेमंत चटर्जी, तुहीन चैटर्जी डी के बोस, बिलास कुमार दास, अशोक बासु, जयंत कर्मकार, अशोक बोस एवं मंच संचालन मे राजा दासगुप्ता का योगदान उल्लेखनिय था। अंत में आभार प्रदर्शन देवाशीष नंदी द्वारा किया गया।

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