विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर अपोलो कैंसर हॉस्पिटल बिलासपुर एवम् स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में विशाल जागरूकता कार्यक्रम

बिलासपुर: 31 मई विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। इस अवसर पर अपोलो कैंसर हॉस्पिटल बिलासपुर एवम् स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में विशाल कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जोनल ऑफिस व्यापार विहार में किया गया।

वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ एवम् रेडीशन ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. सार्थक मोहरिर ने बताया कैंसर उन बीमारियों को संदर्भित करता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और अन्य ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं। कैंसर कोशिकाएं रक्त और लसीका प्रणालियों के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं, जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करती हैं।

कैंसर के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

*शरीर के किसी भी भाग में मोटा होना या गांठ होना
*बिना किसी ज्ञात कारण के वजन का कम होना या बढ़ना
*एक घाव जो ठीक नहीं होता
*स्वर बैठना या खांसी जो ठीक नहीं होती
*निगलने में कठिनाई
*खाने के बाद बेचैनी
*आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन
*असामान्य रक्तस्राव या स्राव
*कमज़ोरी या बहुत थकान महसूस होना

ज़्यादातर फेफड़ों के कैंसर होते हैं। यह आज भी सच है, जब 10 में से 9 फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतें सिगरेट पीने या सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से होती हैं। वास्तव में, धूम्रपान करने वाले लोगों को आज फेफड़ों के कैंसर का जोखिम 1964 की तुलना में ज़्यादा है, भले ही वे कम सिगरेट पीते हों। इसका एक कारण सिगरेट बनाने के तरीके और उनमें मौजूद रसायनों में बदलाव हो सकता है।

उपचार बेहतर हो रहे हैं, लेकिन फेफड़े का कैंसर अभी भी किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में अधिक पुरुषों और महिलाओं को मारता है।

धूम्रपान से आपके शरीर में लगभग किसी भी जगह कैंसर हो सकता है।

धूम्रपान से आपके शरीर में लगभग किसी भी जगह कैंसर हो सकता है, जिसमें शामिल हैं

धूम्रपान से संबंधित कैंसर को कैसे रोका जा सकता है?

धूम्रपान से होने वाले कैंसर को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप सिगरेट न पीएं, या अगर पीते हैं तो उसे छोड़ दें। इसके अलावा, सेकेंड हैंड स्मोकिंग से बचना भी महत्वपूर्ण है।

धूम्रपान छोड़ने से 12 प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो जाता है: फेफड़े, स्वरयंत्र, मौखिक गुहा और ग्रसनी, ग्रासनली, अग्न्याशय, मूत्राशय, पेट, बृहदान्त्र और मलाशय, यकृत, गर्भाशय ग्रीवा, गुर्दे और तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया (एएमएल) के कैंसर।

धूम्रपान छोड़ने के 5-10 वर्षों के भीतर, आपके मुंह, गले या स्वरयंत्र के कैंसर होने की संभावना आधी रह जाती है ।
धूम्रपान छोड़ने के 10 वर्षों के भीतर मूत्राशय, ग्रासनली या गुर्दे का कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है ।

धूम्रपान छोड़ने के 10-15 वर्षों के भीतर फेफड़े के कैंसर का खतरा आधा रह जाता है ।

धूम्रपान छोड़ने के 20 साल के भीतर, आपके मुंह, गले, स्वरयंत्र या अग्न्याशय के कैंसर होने का जोखिम धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के जोखिम के करीब हो जाता है। साथ ही, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का जोखिम लगभग आधा रह जाता है ।

प्रश्न एवम् उत्तर के दौरान एसबीआई प्रबंधक द्वारा पूछा गया की उन्होंने सिगरेट छोड़ने के लिए च्विंग गम का प्रयोग किया, उनकी सिगरेट की लत तो छूट गई लेकिन अब वो च्विग गम के आदि हो गए हैं। इस पर डॉ. सार्थक ने उन्हें उसकी मात्रा धीरे धीरे कर उसे बंद करने की सलाह दी।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के रीजनल मैनेजर आनंद प्रियदर्शी एवम् आशीष ताम्रकार पूरे कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे उन्होंने कर्मचारियों से धूम्रपान न करने एवम् तंबाकू के सेवन से बचने की अपील की। रीजनल मैनेजर आनंद प्रियदर्शी ने डॉ. सार्थक द्वारा बताई गई जानकारी को अत्यंत महत्वपूर्ण एवम् उपयोगी बताया।

डॉ. सार्थक ने नियमित रूप से साल में एक बार स्वस्थ परीक्षण (हेल्थ चेकअप) कराने पर जोर दिया एवम् ओरल चेकअप के चरणों को करके के बताया।

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