बिलासपुर के मध्य नगरी चौक के पास स्थित बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल श्री शिशु भवन में बतौर प्रबंधक नवल वर्मा ने पदभार ग्रहण कर लिया है। आपको बताते चले कि अंचल के इस सबसे बड़े बच्चों के अस्पताल में 18 वर्ष तक के बच्चों की सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज और सर्जरी की जाती है । श्री शिशु भवन न केवल नवजात शिशु और बच्चों का अस्पताल है बल्कि यह डीएनबी पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट भी है ,जहां नवजात शिशु, बच्चों की आकस्मिक चिकित्सा , इनडोर भर्ती, ओपीडी और सभी प्रकार की सर्जरी की जाती है। यह अस्पताल केंद्रीय शासन , राज्य शासन, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बालको और छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कर्मचारियो हेतु भी मान्यता प्राप्त अस्पताल है। श्री शिशु भवन में आयुष्मान योजना, कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत निशुल्क इलाज किया जाता है।
तीन मंजिला सर्व सुविधा युक्त इस अस्पताल में 20 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत है, जिनके द्वारा 24 घंटे सामान्य एवं आपातकालीन इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है । अस्पताल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और के साथ चिकित्सकों और मरीज एवं परिजनों के बीच बेहतर तालमेल बिठाने में प्रबंधक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यही जिम्मेदारी नवल वर्मा को मिली है। शिक्षा और प्रबंधन के क्षेत्र में करीब 30 साल का गहरा अनुभव रखने वाले नवल वर्मा ने शनिवार को अपना कार्यभार संभाला।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी एक मात्र प्राथमिकता अस्पताल आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सा के साथ हर तरह की सुविधा मिल सके, यह होगी। साथ ही वे प्रयास करेंगे कि मरीज और चिकित्सकों के बीच बेहतर संबंध स्थापित हो। श्री शिशु भवन वैसे भी पूरे क्षेत्र में बच्चों का सबसे बड़ा और सर्व सुविधा उपयुक्त बच्चों का अस्पताल है, लेकिन श्री वर्मा कहते हैं कि उनका प्रयास होगा की नई-नई तकनीक और नई चिकित्सा पद्धतियों को इस अस्पताल में उपलब्ध कराया जाए ताकि दूर से जटिल बीमारियों के साथ पहुंचने वाले मरीज भी यहां से स्वस्थ होकर हंसते खेलते लौटे।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि श्री शिशु भवन के संचालक डॉक्टर श्रीकांत गिरी और प्रबंधक नवल वर्मा बाल्यकाल के मित्र है। दोनों ने ही बिलासपुर के गुरु नानक स्कूल से प्राथमिक शिक्षा आरंभ की थी। तोरवा क्षेत्र में आसपास मकान होने से दोनों का बचपन साथ में गुजरा, तो वही यह मित्रता हमेशा कायम रही। नवल वर्मा जहां शिक्षा के क्षेत्र में केरियर तलाशते दिखे तो वही मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने सिम्स के सामने एक छोटे से किराए के कमरे से बच्चों का इलाज आरंभ किया। उसके बाद जूनी लाइन और फिर मध्य नगरी चौक के पास एक मकान को खरीद कर उसे अस्पताल में तब्दील किया गया। इसके बाद यहां एक आलीशान अस्पताल तैयार हुआ, जिसमें बच्चों के इलाज के लिए यथासंभव सुविधा और उपकरण जुटाए गए। यहां कुशल चिकित्सको के साथ बेहद प्रशिक्षित और सेवाभावी मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ भी है, जिनका एक मात्र लक्ष्य अस्पताल आने वाले हर मरीज की सेवा कर उसे निरोगी बनाना है। नवल वर्मा ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि ऐसे ही सेवा कार्य का हिस्सा बनने का उन्हें अवसर मिला। नवल वर्मा कहते हैं कि केवल द्वापर में ही भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती नहीं है बल्कि इस दौर में भी उनके और डॉक्टर गिरी के रूप में वही मित्रता पूरे समर्पण और प्रेम के साथ नजर आती है । नवल वर्मा स्वभाव से ही सेवाभावी रहे हैं। आसपास के जिस किसी को भी इलाज या अन्य मेडिकल सेवा की आवश्यकता पड़ी, नवल वर्मा ने बढ़ चढ़कर उनकी मदद की । और अब तो वे बिलासपुर के जाने-माने अस्पताल के प्रबंधक है , लिहाज अब इस कार्य और भी बेहतर ढंग से वे अंजाम दे सकेंगे।
श्री शिशु भवन के संचालक डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने भी उम्मीद जताई है कि एक प्रबंधक के तौर पर नवल वर्मा का कार्यकाल उल्लेखनीय और अस्पताल के लिए बेहतर सिद्ध होगा।

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