बहुचर्चित फ़िल्म ‘आर्टिकल 370’ की समीक्षा संजय अनंत की कलम से…


बहुत दिनों बाद सिनेमा हॉल में जा कर कोई फ़िल्म देखी, नाम है आर्टिकल 370,
पर सच कहुँ तो ऐसा लगा की सब कुछ आँखो के सामने हो रहा है, एक्टिंग, सेट, डायलॉग, फ़िल्म की एडटिंग सब कुछ बेहतरीन..
जो मसाला फ़िल्म पसंद करते है, वो न जाए क्यों की उन्हें ये पैसे की बर्बादी लगेगी किन्तु यदि आप एक अच्छी अर्थपूर्ण फ़िल्म देखना चाहते हो और इस देश से बेइंतहा महोब्बत है तो जरूर जाओ देखने, एक सच जो वर्षो से छुपा रखा था.. जिस दम पर कश्मीर के नेता अकड़ते थे, वो थी धारा 370.. उनको मालूम था कोई भी सरकार धारा 370 खत्म नहीं कर सकती.. पर वर्तमान सरकार और हमारे होनहार अधिकारियो के अथक परिश्रम से इसे हटाने का रास्ता ढूंढा गया और पूरी गोपनीयता से तैयारी की गईं और अंत में योजनबद्ध तरीके से उसे हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया.. कश्मीर में हमारी सेना और उसके कमांडो के शौर्य पूर्ण ऑपरेशन और बिना जीवन की परवाह किए आतंकियों से सीधा मुकाबला.. आप को ऐसा लगेगा मानो आप भी उस मुहीम का हिस्सा हो.. कुछ भी नाटकीय नहीं लगेगा..
अरुण गोविल मोदी जी रूप में खूब जंचे है, अमीत शाह के रूप में किरण कर्माकर की एक्टिंग लाज़वाब है और शायद फारुख अब्दुला नाराज हो जाए उन्हें विलन दिखाया गया है और अपनी उम्दा एक्टिंग से राजेन्द्रनाथ ज़ुत्शी ने परदे पर उन्हें जीवंत किया है


पर पूरी फ़िल्म की जान है यामिनी गौतम,उसकी एक्टिंग इतनी परिपक्व और उम्दा है की लगता नहीं की आप पिक्चर देख रहे हो, स्टंट रोल में ऐसा लगता है की वो सचमुच आर्मी की ट्रेंड कमांडो है
कश्मीर की खूबसूरती और वहाँ का दशहत भरा माहौल, कैसे बच्चों को युवाओ को पैसे देकर, भड़का कर पत्थर बाज़ी के लिए तैयार किया जाता था सीमा पार से कैसे पड़ोसीदेश हमें परेशान करना चाहता है
आज जब कश्मीर से शांति है,प्रगति की बयार बह रही है, ये सब धारा 370 के जाने के बाद हुआ..
बचपन से हम नारा सुनते आए जनसंघ के ज़माने से
एक देश में
दो निशान दो प्रधान दो संविधान नहीं चलेगा
और अब उसे सच होते भी देख रहे है
मेरी तरफ से सौ में सौ
तो सपरिवार देख आइए


संजय अनंत©

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