पूर्व प्रधानमंत्री स्व.पी.वी नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान

संजय अनंत


वे निश्चित ही महान व्यक्ति थे, हो सकता है मिडिया , विश्लेषक इत्यादि ने उन्हें उतना महत्व नहीं दिया, जिस के वे लायक थे।
संकट के समय नेतृत्व की परीक्षा होती है,ज़ब वे प्रधानमंत्री बने,देश की अर्थ व्यवस्था रसातल में थी, सोना गिरवी रखना पड़ा था, डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बना,नए आर्थिक विकास की, खुली अर्थ व्यवस्था की,नींव उन्होंने रखी, आज देश जिन ऊंचाई तक पहुंचा है, उस में उनके द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधार की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उनको भारत रत्न दिए जाने पर अति प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हु, आज उन्हें याद कर रहा हूँ, उनकी विलक्षण प्रतिभा के कारण,एक राजनेता , एक साहित्यकार, एक महान भाषाविद और बेदाग ईमानदार व्यक्तित्व, वे अनेक भारतीय भाषाए धारा प्रवाह बोल सकते थे,जब महाराष्ट्र में सभा करते तो धाराप्रवाह मराठी बोलते, तमिल ,तेलगु अनेक भाषाओं में जबरदस्त पकड़ ( कुल 17 भाषाओ के जानकर , जिसमे हिंदी ,मराठी, तेलगु, तमिल, फ्रेंच, स्पेनिश शामिल है) उनका इंग्लिश में लिखा आत्मकथ्य उपन्यास the insider बहुत चर्चा में रहा,विवाद भी हुआ ,कांग्रेस के नेताओ ने ही खुली आलोचना की , व्यवस्था का सच ईमानदारी से सामने लाया अपनी लेखनी से,तेलगु साहित्य के महाकवि विश्वनाथ सत्यनारायण की कालजयी कृति ‘वेयिपदागालू ‘ का हिंदी अनुवाद किया | वे आर्थिक सुधारो के आरम्भ कर्ता थे , गैर राजनैतिक डॉ मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाना और नए भारत की नीव उन्होंने रखी , सरकारीकरण से मुक्त नवीन व्यवस्था जिसमे भारत आगे बढ़ रहा है, निश्चित ही उनकी देन है , घोर संकट के समय देश का नेतृत्व किया |देश का सोना जब गिरवी रखना पड़ा था , फिर जो आर्थिक सुधार उन्होंने प्रारम्भ किए उस से देश की दशा और दिशा दोनों बदली।
पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहा राव ,अटल जी के रिश्तों का भी स्मरण हो रहा है दोनों परस्पर विरोधी पार्टी में किन्तु एकदूसरे के लिए पूरा सद्भाव । जब कश्मीर के लिए पीवी नरसिम्हा राव ने अटल बिहारी वाजपेयी को किया था आगे। इसका एक उदाहरण साल 1994 में देखने को मिला, जब विपक्ष में होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाया। महान प्रतिभा का पुण्य स्मरण
संजय अनंत©

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