छत्तीसगढ़ में तीजा त्यौहार

डॉ अलका यादव


छत्तीसगढ़ की संस्कृति में त्योहारों का बड़ा ही महत्व है जिसमें भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीजा त्यौहार शिव और पार्वती के पुनर मिलन के अवसर पर मनाया जाता है कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पानी के लिए मां पार्वती ने 107 जन्म लिए मां पार्वती के कठोर तप को देखकर उनके 108 में जन्म पर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में अपनाया इस समय से इस व्रत की मान्यता मानी गई है जो आज भी छत्तीसगढ़ अंचल में मुख्य त्योहार के रूप में मनाया जाता है
हरतालिका तीज मनाने का मुख्य कारण एक पतिव्रता व्रत के रूप में है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएं माता पार्वती की पूजा और उनकी कथा का पाठ करती हैं, जिससे वे अपने पति के लंबे आयु और खुशहाली की कामना करती हैं। यह व्रत माता पार्वती के पति भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
त्यौहार भादो माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. तृतीया होने के कारण इसको तीजा कहते हैं. पोरा तिहार के तीसरे दिन मनाने के कारण भी इसे तीजा कहा जाता है. तीजा के दिन महादेव और माता गौरा की निर्जला व्रत के साथ पूजा करने का विधान है.
इस पर्व में करेले का विशेष महत्व होता है जो माताएं विशेषकर बनाती हैं. तीजा उपवास के एक दिन पहले माताएं एक दूसरे के घर जाकर दाल-भात और अन्य चीजों क साथ करेला की सब्जी जरूर खाती हैं जिसे करू भात कहा जाता है.
जब भी बेटियों से जुड़ी कोई बात आती है तो अमीर खुसरो जरूर याद आते हैं। उनका एक खूबसूरत दोहा है। अम्मा मेरे बाबूल को भेजो री कि सावन आया। छत्तीसगढ़ में भी बेटियाँ जरूर तीजा त्योहार में ऐसा ही कुछ सोचती होंगी
हरितालिका हर विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है, पर यह और भी ज्यादा खास नई विवाहित लड़कियों के लिए होती है। लड़कियों का अपनी पहली तीजा पर विशेष तौर पर मायके आने की परंपरा है। और तो और इस दिन नवविवाहित महिलाओं को ससुराल की तरफ से तिजाही देने की प्रथा है जिसमें आभूषण, शृंगार, वस्त्र, मेहंदी और छत्तीसगढ़ का पारंपरिक व्यंजन ठेठरी, खुरमी भी भेंट की जाती है। महिलाएं अपने दोनों हाथों में मेहंदी लगाकर पूजा के लिए तैयार होती हैं
छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों में भी तीजा त्यौहार अपने पति की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए कामना करते हुए हर्षो उल्लास के साथ निर्जला व्रत करती हैं

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