रेल रोकने वाले आंदोलनकारियो के खिलाफ रेलवे दर्ज कर रहा मामले, वीडियो ग्राफी के जरिए की जा रही दोषियों की पहचान

कैलाश यादव

जैसे की आशंका थी, उसके अनुरूप रेल रोकने के आरोप में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है । आंदोलनकारियो के खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 172 के तहत कार्रवाई की गई है । पहले ही आंदोलन के मद्दे नजर चेतावनी दी गयी थी कि रेल परिचालक बाधित करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी, जिसको ध्यान में रखकर बुधवार को आरपीएफ, जीआरपी और स्थानीय पुलिस की तैनाती की गई थी। फिर भी कांग्रेस के नेता रेलवे स्टेशन के अंदर पहुंच गये। रेलवे ट्रैक पर उतर गए। इस दौरान कांग्रेसी नेताओं ने मालगाड़ी के इंजन पर चढ़कर जमकर हंगामा मचाया। कई कार्यकर्ता पटरियों पर लेट गए। इस दौरान पुलिस के साथ भी कांग्रेस नेताओं की झूमाझपटी हुई।

योजना अनुरूप आरपीएफ ने पूरे आंदोलन की वीडियोग्राफी की है, जिसके आधार पर अब आंदोलन कारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी करने की तैयारी है।
बुधवार को आंदोलन से पहले रेलवे स्टेशन के पास सभा भी हुई थी, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाल था। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि आंदोलन करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। वही रेलवे का कहना है की सभा करना, अपनी बातें रखना आंदोलन और लोकतंत्र के दायरे में है लेकिन रेल रोकना और रेल परिचालन को बाधित करना रेलवे अधिनियम के तहत अपराध है। सभी को समझाया गया था, इसके बावजूद कांग्रेसी नेताओं ने कानून को हाथ में लिया। नियम विरुद्ध कांग्रेसी रेलवे स्टेशन में घुस गए और परिसर में जमकर नातेबाजी की। इतना ही नहीं वे पटरी पर भी उतर गए और इंजन पर चढ़कर अपना विरोध दर्ज कराया ।

आरपीएफ और जीआरपी के रोकने के बाद भी कांग्रेसी नहीं रुके । कुछ लोग नागपुर छोर तक पहुंच गए और खड़ी मालगाड़ी के इंजन के सामने चढ़कर हंगामा मचाने लगे। रेलवे सुरक्षा बल ने आंदोलन करियो की वीडियोग्राफी कराई है, जिसके माध्यम से अब उनकी पहचान की जा रही है । आंदोलनकारियो के खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 172 के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है। रेलवे का कहना है कि इस प्रदर्शन के चलते मालगाड़ी के पहिए थक गए थे। अन्य यात्री ट्रेनों को भी नियंत्रित करना पड़ा। रेलवे स्टेशन पहुंचने के पहले उन्हें आउटर पर रोकना पड़ा। आंदोलनकारियो को पूर्व में ही आगाह किया गया था लेकिन उन्होंने चेतावनी की परवाह नहीं की। आंदोलनकारी बार-बार 1996 के रेल आंदोलन की दुहाई देते रहे।

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