आम लोगों के लिए आज भी रेलवे यातायात का सहज और सुलभ माध्यम है। ऐसे सैकड़ो लोग हैं जो रेल यात्रा से पहले अपने वाहनों को पार्किंग में रखते हैं, जिसके लिए रेलवे के सभी प्रमुख स्टेशनों में पार्किंग हेतु वकायदा करोड रुपए का ठेका दिया जाता है। वैसे तो यह व्यवस्था यात्रियों के वाहनों को सुरक्षित रखने के लिए होता है, लेकिन अधिकांश रेलवे स्टेशनों पर यह ठेका दबंगो को हांसिल होने से इनके मनमाने नियम कायदे और गुंडागर्दी का शिकार आम यात्रियों को होना पड़ता है। कमोबेश यही स्थिति प्रदेश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों की है। चाहे वह राजधानी रायपुर की बात हो या फिर बिलासपुर की। यहां लोग पार्किंग ठेका कर्मचारियों के व्यवहार से आए दिन परेशान और मानसिक आहत होते रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि इन ठेका कर्मचारियों को रेलवे के बड़े अधिकारियों से लेकर जीआरपी और आफ का भी मौन समर्थन एवं संरक्षण हासिल है ,जिस वजह से आए दिन कोई ना कोई विवाद रेलवे स्टेशन परिसर में घटित हो रहा है। हालात ऐसे ही रहे तो किसी भी दिन बड़ा विवाद भी हो सकता है ।
पार्किंग में रखे गए वाहनों की सुरक्षा को लेकर भले ही कोई जिम्मेदारी तय न हो लेकिन यात्रियों के अपमान की पूरी गारंटी है। नियम कायदों को ताक पर रखकर रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले ड्रॉप एंड गो यात्रियों से भी मनमाना वसूली किया जा रहा है।
रायपुर निवासी अमनदीप सिंह के साथ भी रायपुर रेलवे स्टेशन पार्किंग में दुर्व्यवहार किया गया, जिन्होंने बताया कि शिकायत के बाद भी अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कि मानो पार्किंग ठेकेदार ने अधिकारियों पर वशीकरण कर रखा हो। इधर ठेकेदार और उसके कर्मचारी किसी गुंडे की तरह हर जाने वाले यात्री के साथ बदसलूकी कर रहे हैं। लोगों को बेइज्जत होकर अपने वाहनों को पार्क करना पड़ रहा है।
16 मई को जब अमनदीप सिंह रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे तो उन्हें भी पैसे देने के बावजूद अपमानित होना पड़ा। इस विषय में उन्होंने स्टेशन सुपरिंटेंडेंट को लिखित शिकायत भी की है। पता चला कि रायपुर रेलवे स्टेशन पार्किंग का ठेका आसिफ मेमन के नाम है जिनके कर्मचारियों की बदसलूकी का वीडियो पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। फिर भी उनके कर्मचारियों के व्यवहार में जरा भी बदलाव नहीं आया है
स्टेशन मास्टर को अपनी शिकायत में अमनदीप सिंह ने बताया कि 16 मई दोपहर करीब 4:30 बजे जब वे रेलवे स्टेशन पार्किंग की एंट्री गेट में अपनी कार के साथ प्रवेश कर रहे थे तो मनीष तिवारी नाम के कर्मचारी ने कार के शीशे को बाकायदा ठोकते हुए पार्किंग के लिए पैसों की मांग की । पैसे मांगने का उसका तरीका बेहद अपमानजनक था। उसने उसने ठेकेदार के स्कैन कोड की बजाय अपने पर्सनल नंबर पर जी पे करवाया। जब अमनदीप कार वापस लेकर एंट्री गेट की तरफ बढ़े तो उनसे कहा गया कि उसे तरफ से नहीं जाना है अगर जाओगे तो ₹5000 जुर्माना लगेगा। जब उससे पूछा गया कि ऐसा कहां लिखा है तो वह बदसलूकी पर उतर आया और झगड़ा करने लगा। अमनदीप ने अपनी शिकायत में कहा कि अच्छे भले मूड के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचने पर किसी का भी मूड खराब करने की क्षमता ठेका कर्मचारियों को हासिल है, जिससे पूरी यात्रा अमंगलमय हो जाती है। ऐसे कर्मचारियों पर नकेल कसने और ठेकेदार का ठेका निरस्त करने की मांग उन्होंने की है, लेकिन लगता नहीं की रेलवे इसे गंभीरता से लेगा, क्योंकि रेलवे के लिए तो ठेकेदार से एक मुश्त मिलने वाली बड़ी रकम ही सबसे महत्वपूर्ण है।