बिलासपुर के मध्य नगरी चौक के पास स्थित बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल श्री शिशु भवन में असाध्य रोगों का भी इलाज किया जाता है। दावा किया जाता है कि इस बच्चों के अस्पताल में मरणासन्न अवस्था में पहुंचे बच्चों को भी नवजीवन दिया जाता है, यह बात एक बार फिर से सिद्ध हुई ।
इस अस्पताल में सफल इलाज के बाद सर्पदंश से पीड़ित बालक स्वस्थ होकर घर लौटा है । भाटापारा में रहने वाले अशोक निषाद के 16 वर्षीय पुत्र धर्मवीर निषाद को 10 मई को किसी जहरीले सर्प ने काट लिया था। स्थानीय अस्पताल के हाथ खड़े करने पर उसके पिता अपने बच्चों को लेकर श्री शिशु भवन अस्पताल पहुंचे थे, जहां धर्मवीर निषाद की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। उसे जब श्री शिशु भवन अस्पताल लाया गया तो धर्मवीर मूर्छित अवस्था में था। जब चिकित्सकों ने किसी और अस्पताल ले जाने की बात कही तो पिता ने कहा कि वे अंतिम उम्मीद लेकर शिशु भवन आए हैं, जिसके बाद डॉक्टर श्रीकांत गिरी के नेतृत्व में त्वरित इलाज आरंभ किया गया।
मरीज की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसे वेंटिलेटर पर रखते हुए आवश्यक दवाई दी गई और इसका असर भी नजर आने लगा। दो दिन बाद धर्मवीर की मूर्छा खत्म हुई और तीसरे दिन से वह उठकर बैठने भी लगा। 7 दिनों तक की गई कुशल चिकित्सा का ही असर है कि धर्मवीर निषाद अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है और एक नई ऊर्जा के साथ घर लौटा है। धर्मवीर निषाद के परिजनों ने भी श्री शिशु भवन और डॉक्टर श्रीकांत गिरी का आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने उनके बच्चे को नया जीवन दिया है क्योंकि वे सर्पदंश के बाद बेटे के बचने की उम्मीद पूरी तरह खो चुके थे।
डॉ श्रीकांत गिरी ने कहा कि वैसे तो सभी सांप जहरीले नहीं होते लेकिन जहरीले सांपों के काटने पर झाड़-फूंक और किसी अंधविश्वास के फेर में ना फंसकर मरीज को तुरंत किसी अच्छे अस्पताल ले जाना चाहिए, जहां उचित दवा और इलाज से ही मरीज के प्राण बच सकते हैं और इसके लिए शुरुआती कुछ घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।