प्रख्यात साहित्यकार विमल मित्र की पुण्यतिथि पर संजय अनंत की श्रद्धांजलि , बिलासपुर से भी रहा है उनका गहरा नाता


प्रख्यात लेखक बिमल मित्र का बिलासपुर से गहरा लगाव रहा, रेल्वे में नौकरी करते अनेक वर्ष उन्होंने बिलासपुर में बिताए, साहित्यकार संजय अनंत आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर रहे है क्यों की बिमल मित्र बिलासपुर ke इतिहास का हिस्सा है, उनके साहित्य में बिलासपुर का गहनता से वर्णन मिलता है
हिन्दी सिनेमा की जीनियस प्रतिभा गुरूदत्त और प्रख्यात लेखक बिमल मित्र की मित्रता और साथ बिताए काल का लेखा जोखा है बिमल मित्र की अनुपम कृति ‘बिछड़े सभी बारी बारी’, उनकी मित्रता आरम्भ होती है ज़ब गुरूदत्त बिमल मित्र की कालजयी उपन्यास ‘साहिब बीवी गुलाम’ पर फ़िल्म. बनाने का निर्णय उनके कोलकाता स्थित निवास स्थान पर सुनाते है और अपने साथ मुंबई ले आते है और अपने ही बँगले में उनके रहने का प्रबंध करते है, गीता दत्त, वहिदा सहित गुरुदत्त को करीब से समझा और उन पर लिखा


बिमल मित्र की लेखनी का जादू है ,ऐसा लगता है सब कुछ आँखो के सामने घटित हो रहा है | गुरुदत्त के साथ उनके घर पर रहना और इस महान व्यक्ति को करीब से समझना मानो बिमल मित्र के लिए चुनौती थी गुरुदत्त यदि अपना पूरा जीवन जीते तो शायद हिन्दी सिनेमा को और समृद्ध करते , बहुत लोगों को यह लगता है कि गुरुदत्त बंगाली थे पर ऐसा है नहीं दरअसल उन्होंने अपने जीवन का कुछ अंतराल कोलकता में बिताया । बिमल मित्र से जो परिचय हुआ उसका आधार था उनका अति लोकप्रिय उपन्यास साहिब बीवी गुलाम , दरअसल बंगाल के भद्रलोक ने तो इसे निचले दर्जे का और कुछ ने तो हँसी भी उड़ाई पर जब हिन्दी अनुवाद लोकभारती ने छापा तो फिर क्या कहने थे । हँसी उड़ाने वाले मौन हो गए , अब बंगाली कहने लगे की ये तो बांग्ला साहित्य की कालजयी रचना है । गुरुदत्त को इस उपन्यास का कालखंड भा गया । कोलकाता के आबाद होने का समय , श्री श्री श्री ठाकुर रामकृष्ण परामहंस का काल । उस दौर के कलकत्ता को फिल्माना ,तभी संभव था जब इस उपन्यास के लेखक यानि बिमल मित्र स्वयं उनके साथ बम्बई में रहे और फिल्म की पटकथा लिखे । यही से बिमल मित्र और गुरुदत्त जुड़े । इस पुस्तक में बिमल दा ने जो देखा वही लिखा । वहीदा रहमान के प्रति गुरुदत्त का झुकाव , उनके और महान गायिका गीता दत्त [पत्नी ] के बीच दूरियों को बढाता गया | गुरुदत्त को अनिद्रा का रोग था , जब बिमल दा को गुरुदत्त के आत्महत्या की सुचना मिली तो उन्होंने लिखा [ पुस्तक का अंतिम पृष्ठ ] ” वर्षों से नींद के लिए तरसते गुरुदत्त को अब चिर निंद्रा में सोने दो ..[ बिमल मित्र की यादगार कृति ]
संजय ‘अनंत’©

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