प्रत्यक्ष देव सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के महापर्व को लेकर विश्व के सबसे बड़े मानव निर्मित छठ घाट बिलासपुर में तैयारी जोरों पर है। यहां पिछले एक महीने से घाट की सफाई, रंग रोगन का काम चल रहा है। गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं की विसर्जन के बाद नदी में पड़े अवशेषों को पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच और छठ पूजा समिति एवं प्रशासन के सहयोग से निकाला गया, जिन्हें डंपर की मदद से अन्यंत्र ले जाया गया है ,तो वही घाट में साफ सफाई और रंग रोगन का काम भी तेजी से किया जा रहा है। हालांकि इस वर्ष चुनाव होने की वजह से जिला प्रशासन और बिलासपुर नगर निगम से समिति को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा, यही कारण है कि समिति को अतिरिक्त बल लगाना पड़ रहा है।
फिलहाल छठ घाट पर कार्यालय के शुभारंभ के साथ नदी से प्रतिभाओं के अवशेष और मिट्टी आदि निकालने का काम अंतिम चरणों में है। घाट पर रंगाई पुताई हो चुकी है। मैदानी इलाके में साफ सफाई का काम भी लगभग पूरा कर लिया गया है। बिजली की सजावट और अन्य कार्य किये जा रहे हैं । घाट पर लगे हाईमास्क लाइट को भी दुरुस्त कर दिया गया है। छठ पूजा समिति द्वारा घाट पर नियमित भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है, जहां प्रतिदिन घाट की सफाई करने वालेश्रमिक, समिति के सदस्य और अन्य देवी भक्त प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।
छठ पूजा समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र दास ने बताया कि वर्तमान में पार्किंग की व्यवस्था उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि उनके मौजूदा पार्किंग पर रीपा योजना के तहत सिलाई प्रशिक्षण केंद्र बन रहा है, तो वही पुराने पार्किंग स्थल पर ट्रांजिट भवन बना दिया गया है । इस संबंध में कलेक्टर और निगम आयुक्त से हुई बैठक में उन्हें आश्वासन दिया गया था कि प्रशासन द्वारा व्यवस्थित पार्किंग बाकायदा बोर्ड के साथ बना कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। छठ पूजा समिति द्वारा छठ घाट के साथ लगे बिलासा उपवन और सड़क के दूसरी ओर पार्किंग व्यवस्था के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है , जहां जेसीबी की मदद से समतलीकरण का कार्य जारी है, वही समिति को भंडारा और अन्य उपयोग के लिए प्रतिदिन पानी के टैंकर की भी आवश्यकता है। हर वर्ष बिलासपुर नगर निगम द्वारा यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती थी जो इस वर्ष अब तक नहीं मिल पाई है। इसके पीछे चुनाव को कारण बताया जा रहा है।
डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार दास ने बताया कि इस वर्ष 17 नवंबर से लेकर 20 नवंबर तक छठ महापर्व मनाया जाएगा। 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ व्रत का आरंभ होगा । 17 नवंबर को ही शाम 5:30 बजे अरपा मैया की महाआरती की जाएगी। साथ ही 10 हज़ार दीपदान किया जाएगा। अगले दिन खरना का प्रसाद तैयार होगा । 19 नवंबर की संध्या अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा तो वहीं 20 नवंबर प्रातः उदित सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा । इस अवसर पर 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के घाट पर पहुंचने का अनुमान है ,जिसके लिए विशाल पार्किंग की आवश्यकता होगी। आयोजन के सफल क्रियान्वयन के लिए तत्पर छठ पूजा समिति ने जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस प्रशासन से पूर्व वर्षों की भांति सहयोग की अपेक्षा की है, साथ ही उन्होंने पूरे बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को छठ पर्व पर छठ घाट पहुंचकर आयोजन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित भी किया है।