आकाश दत्त मिश्रा
मंगलवार को तमाम अव्यवस्थाओं के बीच बिलासपुर के छठ घाट में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। हर वर्ष विसर्जन के मद्दे नजर यहां जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार यह व्यवस्था कहीं नजर नहीं आई। यहां तक कि छठ घाट में सामान्य दिनों में रहने वाली रोशनी तक नहीं थी। बिलासपुर के छठ घाट में सामान्य दिनों में भी लोग शाम के बाद सैर सपाटे के लिए पहुंचते हैं इसलिए यहां हाई मास्क लाइट और स्ट्रीट लाइट लगी हुई है, जिनमें से अधिकांश इन दोनों बंद है। यहां तक कि विसर्जन की तिथि पर भी इसे सुधारने का कोई प्रयास नहीं हुआ, जिस कारण लोगों ने मोबाइल टोर्च की रोशनी में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया ।
वहीं दुर्गा प्रतिमा लेकर यहां पहुंचे समितियां के सदस्य उस वक्त हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि कुछ दिनों पहले ही जिस नदी में घाट तक कई कई फिट पानी था उस नदी में पानी नहीं के बराबर है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नदी का पानी छोड़ दिया गया। तोरवा क्षेत्र के दुर्गा समिति के पदाधिकारी और छत्तीसगढ़ बंगाली समाज के पल्लव धर ने कहा कि ऐसा साजिश पूर्वक किया गया है। पहले भी हिंदू देवी देवताओं के विसर्जन के मौके पर जिला प्रशासन इसी तरह का रवैया अपनाता रहा है। दुर्गा विसर्जन के लिए जानबूझकर नदी का पानी छोड़ा गया ताकि लोग विसर्जन ठीक से ना कर पाए और प्रशासन का यह उद्देश्य पूरा होता भी दिखा। नदी में पानी न होने पर लोग तट पर ही दलदल और कीचड़ में प्रतिमाओं को छोड़कर चले गए। नदी में पानी न होने से प्रतिमाएं घुली नहीं और भग्न प्रतिमाएं पूरे छठ घाट पर यहां वहां नज़र आ रही है।
जानकार बता रहे हैं कि नदी में पानी कम होने के बाद भी विसर्जन की प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न हो सकती थी, अगर नगर निगम यहां हाइड्रा मशीन की व्यवस्था करता। गणेश विसर्जन के दौरान भी छठ घाट पर नदी का जलस्तर कम था। उस दौरान नगर निगम ने हाइड्रा मशीन की व्यवस्था की थी, जिससे मशीन की सहायता से आसानी से प्रतिमाओं को नदी में काफी दूर तक ले जाकर विसर्जित किया जा रहा था। हाइड्रा मशीन के इस्तेमाल से जन दुर्घटना की भी आशंका कम होती है, इसलिए दुर्गा विसर्जन के दौरान हाइड्रा मशीन की अत्यधिक आवश्यकता है। इस पर जिला प्रशासन और नगर निगम को तत्काल ध्यान देना होगा, क्योंकि आने वाले एक-दो दिनों तक लगातार प्रतिमाओं का विसर्जन होगा। हाइड्रा मशीन असल में एक हाइड्रोलिक क्रेन है, जिसके लंबे आर्म्स की मदद से आसानी से नदी में दूर तक सुरक्षित प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा सकता है।
इससे पहले पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच द्वारा जिला प्रशासन से निवेदन किया गया था कि वह विसर्जन के लिए एक निश्चित क्षेत्र तय कर दे। ऐसा इसलिए कहा गया था क्योंकि पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच द्वारा छठ पर्व के उद्देश्य से छठ घाट की सफाई कराई जा रही थी। उनका मानना है कि पूरे घाट में विसर्जन होने से एक बार फिर से पूरे क्षेत्र में दुर्गा प्रतिमाओं के अवशेष फेल जाएंगे और फिर एक बार घाट की सफाई करनी होगी। लगता है जिला प्रशासन ने उनकी बात पर भी खास ध्यान नहीं दिया। मंगलवार शाम के बाद से ही यहां दुर्गा समितियां के सदस्य प्रतिमा विसर्जन के लिए पहुंचे जिन्हें नदी का जल स्तर देखकर घोर निराशा हुई और उन्होंने इसे साजिश करार दिया। वहीं घाट पर रोशनी की व्यवस्था न होने पर भी लोगों ने नाराजगी जाहिर की।